नमस्कार मित्रो
मित्रो कवि सम्मेलनों के कार्यक्रमों की अधिकता की बजह से हमारा पूर्व निर्धारित विषय "वर्तमान साहित्य एवम साहित्यकार" कई दिन वाधित रहा | मित्रो आइये पुन: जुड़ते हैं अपने विषय से और मिलते हैं एक और साहित्यकार से |
मित्रो आज मैंने इस विषय के लिए जिस साहित्यकार का चयन किया है वह अपने में साहित्य का एक सागर है | आइये मिलते हैं उस साहित्यकार से |
( कवि परिचय )
नाम- डॉ रामबहादुर व्यथित
पिता का नाम- श्री बाबूराम माथुर
वर्तमान निवास- विजय वाटिका , कोठी नं० ३ सिविल लाइन्स बदायूं उ०प्र०
कार्य- सेवानिवृत उप प्रधानाचार्य (इस्लामियॉ इण्टर कालेज बदायूं)
दूरभाष- 9837618715
मित्रो बदायूं के साहित्य को हिन्दुस्तान के कोने कोने में पहुंचाने बाले गीत ,नवगीत लघुकथा ,कहानी,आलेख, रेडियो वार्ता एवम समीक्षा के सफल रचनाकार डॉ रामबहादुर व्यथित को कौन नहीं जानता | विगत ४० वर्षों से साहित्य के क्षेत्र में नित नये आयाम गढने बाले डॉ साहब बदायूं के साहित्यिक बटवृक्ष की प्रमुख टहनी हैं |
बुलन्द आवाज के धनी व्यथित जी अविरल साहित्य परोसते रहे हैं यह सर्वथा सत्य है | उनकी शैली एवम चिन्तन अन्य कवियों से बहुत ही भिन्न है | व्यथित जी ने साहित्य को जिया है तथा अनेकों अग्नि परीक्षाओं को पार करके स्वयं को स्थापित करने में सफलता अर्जित की है |
देश के सात प्रदेशों के विभिन्न स्थानों पर आयोजित सैकड़ों कवि सम्मेलनों में उन्होंने अपनी कलम को प्रस्तुत किया है और बदायूं का नाम रोशन किया है |
उन्होने देश के विभिन्न मंचों से अनेकों सम्मान प्राप्त किये हैं |
जिनमें वंदे भारती संस्थान अम्वेडकर नगर द्वारा केशव सम्मान, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा महात्मा ज्योतिवा फूले फैलोशिप अवार्ड, पुष्पमेघा प्रकाशन छत्तीसगढ़ द्वारा स्व० श्री हरिठाकुर सम्मान, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा भारती ज्योति सम्मान, अवधेश नरायन स्मृति सम्मान दिल्ली, वृज गौरव सम्मान मथुरा, तथा वेदामऊ वैदिक विद्यापीठ बदायूं द्वारा साहित्य वाचस्पति सम्मान प्रमुख हैं |
व्यथित जी एक कवि के साथ-साथ एक बहुत श्रेष्ठ आलोचक, एवम समीक्षक भी हैं उन्होंने हिन्दी गद्य व पद्य दोनों में समान कार्य किया है |
उनकी भाषा सरल एवम शोधपरख है |
व्याकरण की दृष्टि से उनकी रचनायें प्रभावशाली हैं |
व्यथित जी की ६ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जो निम्न हैं |
छाप छोड़ती कवितायें, देवदासी ( लघु कथा संग्रह) , विषदन्त मसलने ही होंगे, प्रखर शब्द शिल्पी ( समीक्षात्मक आलेख), दर्पन झूठ न बोले, तथा ऑखें बोलती हैं |
दर्पन झूठ न बोले पुस्तक 55 ग्रन्थों की समीक्षा है |
सम्पूर्ण व्यक्तित्व एवम कृतित्व पर नज़र डालने के बाद निष्कर्ष निकलता है कि श्री व्यथित जी एक श्रेष्ठ साहित्यकार हैं |
व्यथित जी की कुछ पंक्तियॉ-----
भजन मीरा के हैं गूंजे, वंशी मधुर घनश्याम की |
अलख हम फिर से जगायें , राम औ रहमान की |
कबीर ,नानक और चिस्ती आज मिलकर गा रहे,
यह वही धरती है प्यारी रहीम औ रसखान की |
मैं श्री रामबहादुर व्यथित जी के साहित्य की हृदय से प्रशंसा करता हूं तथा उनके अविरल साहित्य व सुखी ,स्वस्थ एवम लम्बी आयु की कामना करता हूं |
प्रस्तुति
प्रो० आनन्द मिश्र अधीर
दातागंज ,बदायूं, उ०प्र०
दूरभाष- 9927590320
8077530905
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