गणेश चतुर्थी
गणराज,गणेश,गजानन हो।
तुम गणपति कष्ट निवारक हो।।
हो विश्वमुखी ब्रह्मांड गुरु।
प्रभु तुम महेश के बालक हो।।
तुम पार्वती के पुत्र महा।
है जग जाहिर महिमा तेरी।।
जिसपर कृपा कर देते हो।
फिर ना रहता सहमा सहमा।।
तुम वरदविनायक हो स्वामी।
घट घट वासी अंतर्यामी।।
तुम भाग्य विधाता विश्वराज।
करते हो तुम तो सफल काज।।
हृदय तेरी सुन्दर छवि है।
ब्रम्हाण्ड चमकता वो रवि है।।
विद्यावारिधि बुद्धि के देव।
स्कन्दपूर्व कार्तिकेय देव।।
मृत्युंजय मौत को हरते हो।
कृपा सब पर ही करते हो।।
करता तेरी हरदम पूजा।
न जगत में तुमसा है दूजा।।
तुम सब कवियों के स्वामी हो।
भारत के हिय सुखधामी हो।।
नीतेन्द्र " भारत "
छतरपुर ( म.प्र.)
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