"विशिष्ट अतिथि -डॉ० संतोष कुमार सिंह 'सजल" के कलम से - संस्था के द्वारा इस अनुपम,अनूठे प्रयोग को सादर नमन करता हूँ ।संस्था समय समय पर ऐसी प्रस्तुति एवं कार्यक्रम करके निश्चित रूप से संस्था के पदाधिकारियों को अन्य संस्था के पदाधिकारियों से विशेष बनाती है । इस अनूठे प्रयोग की प्रेरणा आदरणीया धस्माना दीदी जी ,इस बीज को रोपित करने वाले आदरणीय सरस जी एवं अपने असाध्य परिश्रम से पुष्पित एवं पल्लवित करने वाले संस्था के हनुमान जी आदरणीय फुल्लरा जी ,संस्था के समस्त कार्यक्रम में जान फूकने के क्षमता के धनी सादर प्रिय अनुज भारत जी के साथ साथ इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाने वाले अद्भुत विलक्षण सितारे जो समय समय पर भिन्न-भिन्न दायित्त्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सामान्य को विशिष्ट बनाने की महारथ हासिल कर्ता सर्व श्री आदरणीया नीलम गर्ग जी, आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी, आदरणीय डॉ.श्याम गंगवार जी ,डॉ शरद श्रीवास्तव जी, आदरणीय डॉ राहुल शुक्ला साहिल जी, सादर प्रिय अनुज पंडित सुमित शर्मा पीयूष जी,आदरणीय,मनोज खोलिया जी,आदरणीय राजेश मिश्र प्रयास जी, आदरणीय डॉक्टर विमलेश कुमार हमदम जी, आदरणीय इंजीनियर हेमंत कुमार सिंघई जी।सरस्वती वंदना प्रस्तुत करता आदरणीया डॉ आराधना उपाध्याय जी ,स्वागत गीत प्रस्तुत करता आदरणीया सुनंदा झा जी को विशेष साधुवाद देता हूँ । ऐसे कार्यक्रम का मैं भी साक्षी बना इसके लिए गौरव की अनुभूति हो रही है इसके लिए संस्था का आभारी हूँ ।
"ईश्वर संस्था को उत्तरोत्तर वायु वेग से गतिमान करें । संस्था समाज और हिंदी जगत के लिए प्राणवायु बने" ऐसी कामना के साथ अपने कलम को विराम देता हूँ।
जय जय
डॉ०संतोष कुमार सिंह 'सजल