गीत
बहर- 122, 122, 122, 12
हमें बस तुम्हारा सहारा है माँ ।
तुम्ही ने ये जीवन निखारा है माँ ।।
हमारी ये *नैया* नही डूबती ।
दिये ज्ञान से माँ ये है तैरती ।।
तू ही धार तू ही किनारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा................*
मधुर स्वर प्रकृति के यूँ माँ से कहे ।
पवन ये बसंती कहाँ फिर रहे ।।
नही तुम बिना कुछ गवारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा.................*
तू श्वेत वर्णी है कमलासिनी ।
सुरो की है गंगा माँ पदमासिनी ।।
ये संसार तुमने सवांरा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा ................*
दया की रखो हम पे मैहर सदा ।
नही हमको करना माँ खुद से जुदा ।।
नही कोई तुम बिन हमारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा.................*
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कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
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