Sunday, April 12, 2020

एक कदम और- श्री हरीश विष्ट जी

🌹जय-जय माँ शारदे 🌹
🌹🙏🌹🙏🌹🙏
         विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के सभी विद्वत जनों को मेरा सादर नमन 🌹🙏🌹
      विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" व इससे जुड़े सभी सुधिजनों को शानदार ईपत्रिका के भव्य विमोचन हेतु मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई 🌹🌹🌹🌹
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
       आज एक बार फिर विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत"  ने हिन्दी साहित्य के इतिहास में  "एक कदम और" ईपत्रिका के तृतीय संस्करण का भव्य एंव शानदार विमोचन कर हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए हिन्दी साहित्य को एक शानदार उत्कृष्ट उपहार स्वरूप में सभी के लिए एक सुन्दर अतुलनीय , कनुकरणीय , तथा प्रशंसनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है , जो भविष्य में हिंदी साहित्य के इतिहास में विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के ओर से एक  मील के पत्थर साबित 
होगी । 
             प्रकृति एवं वसंत का द्योतक आकर्षक एवं मंत्रमुग्ध करने वाले मुख्य पृष्ट के साथ इस ई पत्रिका की लाजबाब तथा उम्दा शुरूवात की गयी है । इस ई पत्रिका को मूर्तरूप प्रदान कर हम सभी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए संस्था के मुख्य संस्थापक तथा इस ई पत्रिका के मुख्य संपादक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी जो वर्तमान में जन चेतना मंच पर बहुत सक्रिय भूमिका निभाकर मंच को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य कर सभी को जागरुक करने वाले साथ ही इस ई पत्रिका के साथ-२ कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अत्यन्त कर्मठ और साहित्य के प्रति समर्पित और इस पत्रिका का संपादन कर संपादक के रूप भी आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी ने भी एक भी बहुत महत्वपूर्ण अतुलनीय तथा प्रशंसनीय भूमिका का निर्वाहन किया है , साथ ही इस पत्रिका को उसके स्वच्छ एंव सार्थक रूप प्रदान करने में मुख्य समीक्षक की मुख्य भूमिका निभाकर आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा तथा मुख्य संरक्षक के रूप में आदरणीय कौशल कुमार पाण्डेय "आस" दादा जी का भी एक अहम , बहुत महत्वपूर्ण योगदान है , यह ई पत्रिका किसी एक की मेहनत का नही अपितु इससे जुड़े मुख्य संपादक से लेकर , इसमें सम्मिलित रचनाकार और इस ई पत्रिका का भव्य विमोचन करने में मंच संचालक की मुख्य भूमिका निभाने तथा इसको पढ़कर आपस में एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाने में अपना-२ योगदान प्रदान करने वाले सभी सुधिजनों की रुचि , मेहनत एंव समर्पण का परिणाम है । 
     ई पत्रिका की शुरुवात शानदार अनुक्रमणिका के द्वारा सभी सम्मिलित रचनकारों को उनकी रचनाओं के साथ क्रमानुसार सुन्दर तरीके से सूचिबद्ध किया गया है ।
        इसके साथ ही पत्रिका की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के संस्थापक एंव इस ई पत्रिका के प्रधान संपादक आदरणीय "दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया "सुशीला धस्माना" जी, छंद सम्राट आदरणीय दादाश्री शैलेन्द्र खरे "सोम" जी, वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री मुकेश शर्मा "ओम" जी , इस संस्था के संरक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री  कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी , मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सबके चहेते मंच संचालन के कुशल महारथी प्रिय अनुज नितेन्द्र सिंह परमार "भारत" , पीलीभीत उत्तर प्रदेश से विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बहुमुखी प्रतिभा एंव कुशल व्यक्तित्व के धनी आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा हिंदी साहित्य एंव विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के उभरते हुए बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी आप सभी के द्वारा  सुन्दर , सार्थक , प्रेरणादायी शिक्षाप्रद सन्देश के साथ की गयी है , जो की अपने आप में बहुत उत्साहवर्धक एवं प्रशंसनीय है जो इस ई पत्रिका को एक संबल प्रदान करती है , वैसे भी वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में ये सभी विभिन्न भूमिकाओं के तहत विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के आधार स्तम्भ हैं , जो कई प्रकार से विभिन्न रूपों में इस "साहित्य रूपी परिवार" को अपना-२ सहयोगरूपी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर विश्व हिन्दी साहित्य के मंच अर्थात शिखर पर स्थापित करने हेतु पूर्ण रूप से समर्पित हैं , आप सभी हमारे ही नहीं अपितु सम्पूर्ण हिंदी साहित्य परिवार के भी मार्गदर्शक है एवं आदर्श के रूप में हैं , आप सभी की कर्मठता , साहित्य के प्रति समर्पण भावना , नि:स्वार्थ सेवा कर हिंदी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु मैं आप सभी का सादर आभार प्रकट करते हुए आप सभी के श्रीचरणों में शीश नवाते हुए कोटि-कोटि सादर नमन करता हुँ । 
       इसके पश्चात एक से बढ़कर एक सार्थक , प्रेरक , शिक्षाप्रद रचनाओं की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी की "माँ शारदे" की स्तुति करती हुई बहुत खूबसूरत वंदना के साथ हुई है , मानव मन की आँखे खोलती हुई , शानदार रचना , जय-जय माँ शारदे 🌹🙏🌹 
आदरणीया "मुस्कान" जी के बाद उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी की ईश्वर की अनुनय-विनय करती हुई शानदार रचना में ईश्वर की महिमा का शानदार बखान किया गया है , बहुत खूब आदरणीय 🌹🙏🌹
  आदरणीय प्रफुल्ल जी के पश्चात राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत अगली रचना विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के संस्थापक आदरणीय दादाश्री दिलीप कुमार पाठक " सरस" जी की रचना ई पत्रिका में सम्मिलित की गयी है , जो की देश के प्रति देश-प्रेम जागृत करती हुई , राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्यों का  कर्तव्य कराती हुई शानदार रचना , बहुत सुन्दर आदरणीय 🌹🙏🌹
              सभी रचनाकारों की एक से बढ़कर एक रचनाएं इस ई पत्रिका में सम्मिलित होकर इस ई पत्रिका की शोभा मानो ऐसे बढ़ा रही हैं जैसे किसी राजा के सिर पर ताज और ताज पर जड़ा हुआ हीरा जो अपने साथ-२ उस राजमुकुट की शोभा अर्थात शान में चार चाँद लगा देता है जिससे उसकी आभा सारे संसार में देखने योग्य हो जाती है और दूर-२ के लोग भी उसकी एक झलक पाने को लालायित रहते हैं , आशा करता हुँ और ईश्वर तथा माँ शारदे से कर बद्ध होकर प्रार्थना करता हुँ की ठीक उसी प्रकार यह ई पत्रिका भी विश्व हिंदी साहित्य पटल पर उसी ताज की तरह अपनी छटा बिखेरने में कामयाब हो तथा नयी-२ बुलंदियों का स्पर्श कर आप सभी का मान बढ़ाये ।
         इस ई पत्रिका में एक से बढ़कर एक सिद्धहस्त विद्वान साहित्यकारों की रचनाएं सम्मिलित हैं , और इस ई पत्रिका की भव्यता का अनुमान इसमें सम्मिलित पचासे अधिक रचनाओं से लगाया जा सकता है , और उन सभी रचनाओं की एक साथ समीक्षा नामुमकिन तो नहीं मगर हम जैसे नवांकुरों के लिए असंभव अवश्य है , इस हेतु मैं आप सभी करबद्ध होकर प्रार्थना अर्थात क्षमा याचना करता हुँ कि मैं आप सब की सभी सुन्दर से सुन्दर रचनाओं की पूर्ण रूप से समीक्षा नहीं कर पाया हुँ , परंतु आप सभी को इस शानदार , अभूतपूर्व पत्रिका का हिस्सा बनकर इसकी शोभा बढ़ाने हेतु विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" तथा अपनी और से तहेदिल से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ , और आप सबकी कुशलता की मंगल कामना करते हुए ईश्वर तथा माँ शारदे से प्रार्थना की वो आपको सकुशल रखते हुए आपकी लेखनी को सदैव ऐसे ही बल प्रदान कर एक नयी धार प्रदान करते रहें जिससे आप सभी साहित्य की सेवा कर रोज रचनारूपी पुष्प माँ शारदे के चरणों में अर्पित करते हुए साहित्य के साथ-२ अपनी अनुपम छटा पूरे साहित्य जगत में बिखेरते रहें , इसी शुभ कामना के साथ एक बार पुन: आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ । धन्यवाद .🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय माँ शारदे🌹🌹🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏


       हरीश बिष्ट
रानीखेत ।। उत्तराखण्ड ।।

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