◆ मणिमाल छंद ◆
विधान~
[सगण जगण जगण भगण रगण सगण+लघु]
(112 121 121 211 212 112 1)
19 वर्ण ,10,9 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
गुरुदेव आज अनाथ को, बस चाहिए पदधूल।
सब दूर दोष-विकार हों, प्रभु आप जो अनुकूल।।
कुछ और इच्छित हैं नहीं,लख लीजिये बस आप।
उर "सोम" है यह कामना, सब नष्ट हों भव-ताप।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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