Friday, December 25, 2020

छप्पय-मुकेश शर्मा "ओम"



छप्पय – छप्पय मात्रिक विषम छन्द है।
इसके पहले चार चरण रोला के तथा बाद के दो चरण उल्लाला के होते हैं। उस तरह रोला और उल्लाला छंदों के मिलने से छप्पय छन्द बनता है। छप्पय के प्रथम चार चरणों में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा 11, 13 पर यति होती है। अन्तिम दो 28-28 अथवा 26-26 मात्राएँ भी होती हैं।

जन्में     सारे     जीव, नहीं  है   इसमें  शंका।
देखें  जिस  भी   ओर, बजे  नारी  का  डंका।
तृप्त    करे    परिवार, अन्नपूर्णा  तब  खाती।
मन्दिर  की   हैं   मूर्ति, आरती   दीया - बाती।
स्त्रोत सभी का है यही, सब  नारी के अंश हैं।
इनका आभारी "ओम", जिनसे सबके वंश हैं।
                            *©मुकेश शर्मा "ओम"*

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