#निर्मम #हत्या/मानव आज दानव
किसको क्या समझाएं भारत,मौन हुआ बस मौन हुआ।
हत्या का आरोपी आखिर,कौन हुआ अब कौन हुआ।।
क्या निर्मम हत्या करने में,शर्म नहीं तुमको आती।
उन संतों खाल सभी से,चीख़ चीख़ कर चिल्लाती।।
बिन मतलब के मार रहें क्यों,कारण मेरा बतलाओ।
मेरी बाते सुनलो मानव,रुक जाओ तुम रुक जाओ।।
डण्डे मत मारो हे मुझकों,सहने लायक पीठ नहीं।
जर्जर मेरी हुई अवस्था,नए महलो की ईंट नहीं।।
राम नाम गुन गाने वाले,हम केवल संन्यासी है।
हे दानव मत मार मुझे तू,हम भी भारतवासी है।।
पहला डंडा सिर में मारा,हम थोड़े सकुचाए थे।
मुझे नहीं मालूम हुआ सच,साथ सभी वो आये थे।।
लाल रक्त की धार जो निकली,याद किया कैलाशी को।
कोरोना के डर से भांगे,याद किया फिर खाँसी को।।
मैंने सीताराम पुकारा,नहीं रुके वो हत्यारे।
मैंने अल्लाह गॉड पुकारा,नहीं रुके फिर भी मारे।।
मैंने सोचा किसी धर्म के,अनुयायी तो होंगे ही।
जातिवाद अगर है जिंदा,जाति वाले होंगे ही।।
धरती माँ की गोद में लेटा,चीखा भी चिल्लाया था।
खड़ा सामने सैनिक देखो,नहीं बचा फिर पाया था।।
मानवता गिरवी रक्खी है,यह मुझकों आभास हुआ।
पहले दानव राक्षस कुल में,अब मानव में बास हुआ।।
हमने किसका बुरा किया था,जो ऐसा दिन आया है।
आज यहाँ भगवाधारी को,बिन कारण मरवाया है।।
गर कुछ लोग बचा लेते तो,माथ कलंक नहीं चढ़ता।
एक को गोली मारी होती,दूजा पैर नहीं बढ़ता।।
एक बहत्तर एक पैतालीस,अपनो से हम हार गये।
क्रुर कुरर्मी मानव दानव,हमको जिंदा मार गये।।
ओम शांति,ओम शांति
नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश
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