*गीत:- सैनिक*
अंधेरी रातो में उसने पहरा रोज लगाया हैं।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।
हाथ हथकड़ी पावन बेङी बाधा चले सैनानी।
हार कभी मानी ना उनने दुश्मन मागें पानी।।
घटना छिपी नही हैं किसी से सबकी जानी मानी।
भारत माता की जय बोले वो हैं हिन्दुस्तानी।।
कुर्बानी का पहनकर चोला रंग दे बसंती बोले।
अंदर मन में ज्वाला भङके खून वीर का खोले।।
राष्ट्रगान का गान भरत में हम सबने दोहराया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।1।।
देश समूचा बोले बोली,राष्ट्र एकता भाये।
करना हैं आजाद देश तो, एक सूत्र बंध जाये।।
सिर पर कफन बाध कर सैनिक घर से बाहर आये।
बैरी के छक्के छूटेगे,पार नही आ पाये।।
जन्म समर्पित कर धरती पर,निर्मल गंगा बहती।
अत्याचार तो भाई बहिन और माता बेटी सहती।।
उनकी आंखो में बदले का शोला सदा समाया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।2।।
जीवन मेरा सरल बने जो वो रस्ता ना पाऊ।
मरते दम तक लाज बचाकर कुर्बानी पा जाऊ।।
रक्षा अपने घर से लेकर भारत की कर जाऊ।
इंकलाब के गीत सदा में मुख अपने से गाऊ।।
चिंगारी से शोला बन कर तन मन धन बारूगा।
सीमा पार जो आये दुश्मन उन सबको मारूगा।।
भारत लेख लिखेगा लहू से,हृदय मध्य सुहाया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।3।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :-8109643725
अंधेरी रातो में उसने पहरा रोज लगाया हैं।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।
हाथ हथकड़ी पावन बेङी बाधा चले सैनानी।
हार कभी मानी ना उनने दुश्मन मागें पानी।।
घटना छिपी नही हैं किसी से सबकी जानी मानी।
भारत माता की जय बोले वो हैं हिन्दुस्तानी।।
कुर्बानी का पहनकर चोला रंग दे बसंती बोले।
अंदर मन में ज्वाला भङके खून वीर का खोले।।
राष्ट्रगान का गान भरत में हम सबने दोहराया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।1।।
देश समूचा बोले बोली,राष्ट्र एकता भाये।
करना हैं आजाद देश तो, एक सूत्र बंध जाये।।
सिर पर कफन बाध कर सैनिक घर से बाहर आये।
बैरी के छक्के छूटेगे,पार नही आ पाये।।
जन्म समर्पित कर धरती पर,निर्मल गंगा बहती।
अत्याचार तो भाई बहिन और माता बेटी सहती।।
उनकी आंखो में बदले का शोला सदा समाया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।2।।
जीवन मेरा सरल बने जो वो रस्ता ना पाऊ।
मरते दम तक लाज बचाकर कुर्बानी पा जाऊ।।
रक्षा अपने घर से लेकर भारत की कर जाऊ।
इंकलाब के गीत सदा में मुख अपने से गाऊ।।
चिंगारी से शोला बन कर तन मन धन बारूगा।
सीमा पार जो आये दुश्मन उन सबको मारूगा।।
भारत लेख लिखेगा लहू से,हृदय मध्य सुहाया हैं।।
लेकर हाथ तिरंगा प्यारा पार सीमा फहराया हैं।।3।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :-8109643725