*माँ और केवल माँ*
माँगू में मात तुझसे,वरदान चाहता हूँ।
संगीत की हो देवी,सुरतान चाहता हूँ।।
भारत की मंद बुध्दि कमजोर हो गई हैं।
देवी सरस्वती का,सम्मान चाहता हूँ।।
करता हूँ में अराधन रखने को मान सबका।
सरहद पर जान देकर बलिदान चाहता हूँ।।
तन मन में माँ बसी हो धन में ना मात बसना।
करता नमन हैं भारत अभिमान चाहता हूँ।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
No comments:
Post a Comment