Sunday, March 3, 2019

गीत / गीतिका

||ॐ सद्गुरुवे नम:|🙏|ॐ सरस्वत्यै नम:|| 
                      *प्रथम चरण*
   🌼💧🌼 *_जय-जय हिन्दी_* 🌼💧🌼
      *दि०-   ०४ मार्च २०१९  सोमवार*
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             *🎤 दैनिक-कार्यक्रम 🙏*
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★ *विनयकाल: प्रात: ६ से १० बजे तक*

मंगलम - आ० रविपाल ' खामोश ' जी
सरस्वती वंदना -आ ०  साधना कृष्ण जी
विशेष समीक्षा- आ० नेहा चाचरा जी

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*★ विषयकाल : प्रात: १० से सायं ६:०० बजे तक*
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      ✍ *विषय :-  शिवरात्रि*

*विधा:- गीत / गीतिका / कविता*

  ☝टिप्पणीकार - *जय-जय हिंदी परिवार*
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            *समीक्षाकाल व प्रतिक्रियाएँ*
                (सायं ६ से १० बजे तक)
       समीक्षक ~ जय जय हिन्दी परिवार
       {१० से ६  बजे तक की रचनाओं पर)
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  🙏 *सम्मान-वेला~ रात ८ से ९ बजे* 🙏
  ✍ *स्वैच्छिक सर्जना~प्रात: ६ बजे तक*
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         ~ दैनिक कार्यक्रम संयोजिका ~
        *आ०सुशीला धस्माना 'मुस्कान'*
                  ~मंच सचेतक ~
           *डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'*
                ~विधि संचालक ~
      *आ० कौशल कुमार पाण्डेय 'आस'*
               ~अनुशासन प्रमुख ~
              *आ० नमन जैन 'अद्वितीय'*
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  *द्वारा~विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत रजि.सं.3011*

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🙏🙏🙏🙏 *जय-जय* 🙏🙏🙏🙏

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत*

उद्देश्य :~👇

१- साहित्यिक क्षेत्र में संरक्षण-संवर्धन व प्रकाशन कार्य द्वारा समाज में प्रेम एवं सद्भाव को बढ़ावा देना तथा उपयुक्त सहायता उपलब्ध करना।
२- महिला सशक्तिकरण हेतु स्त्री-शक्ति संवर्धन निमित्त कार्य करना |
३- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हित रक्षण हेतु कार्ययोजना बनाना और कार्यक्रम आयोजन करना।
४- शिक्षा के क्षेत्र में विविध कार्य संपादन को निरत रहना और प्रकाशन सहित शिक्षण संस्थाओं का संचालन किया जा सकेगा।
५-सामाजिक उन्नयन हेतु भारतीय परम्पराओं का अनुपालन करते हुए प्रदेश व देश-विदेश में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकेगा |
६- ट्रस्ट, उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यकता होने पर बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से भी ब्याज-युक्त या ब्याज-मुक्त ऋण ले व दे सकेगा।
७-ट्रस्ट, भूमि-भवन को भी सामंजस्य पूर्ण तरीके से नियमानुसार स्वेच्छा से अधिग्रहीत कर सकेगा अथवा दानस्वरूप या अन्य सुसंगत नियमों के अन्तर्गत ट्रस्ट सम्पत्ति का संग्रह किया व लिया जा सकेगा।ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भवन किराये पर भी लिया जा सकेगा।
८-ट्रस्ट समाज में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष हेतु साहित्य प्रकाशन एवं साहित्यिक गतिविधियाँ संचालित कर सकेगा।
९-ट्रस्ट, अपने कार्यक्रमों एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों का निर्माण कर सकेगा, जिसमें ट्रस्टी/ट्रस्टियों के अतिरिक्त अन्य सक्रिय नागरिकों का भी सहयोगावरण किया जायेगा।उन आम समितियों एवं उपसमितियों हेतु सदस्य, नियम, उपनियम ट्रस्ट द्वारा ही निर्धारित किये जायेंगे, जो समितियों/उपसमितियों हेतु पूर्णतः मान्य होंगे।समितियों/उपसमितियों को भंग करने अथवा पूर्णत: ग्रहण व त्याग करने के साथ पुनर्गठन/स्थापन व विखंडन का अधिकार भी ट्रस्ट को ही होगा।
१०- ट्रस्ट, अपने समान उद्देश्यों वाले दूसरे ट्रस्टों अथवा संस्थाओं को आर्थिक सहायता अनुदान के रूप में दे व ले सकेंगा।
११-ट्रस्ट, आवश्यकतानुसार सम्मेलन, विविध आयोजन, गोष्ठियाँ, सभा इत्यादिक कार्यक्रमों को कर सकेगा, इस हेतु साहित्य प्रकाशन व वितरण भी कर सकेगा।अन्य योजनाएँ बनाने एवं क्रियान्वित करेने के साथ इस हेतु कार्यकर्ताओं की नियुक्ति, पदोन्नित-पदावतन व कार्यमुक्ति का अधिकार भी ट्रस्ट को होगा।
१२- ट्रस्ट अन्य संस्थाओं के श्रेष्ठ साहित्य का भी विधिक प्रकाशन व क्रय-विक्रय कर सकेगा तथा कार्यक्रम विस्तार हेतु प्रमाणित माध्यमों से अन्न, धन एवं जीवनोपयोगी वस्तुओं को अनुदान के रूप में ले व दे सकेगा | श्रमदान प्राप्त कर सकेगा।
१३-ट्रस्ट, अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कालान्तर में गृह उद्योगों/कुटीर उद्योगों की स्थापना कर सकेगा एवं उसके अन्तर्गत प्रशिक्षण देने व व्यवस्था संचालन निमित्त विविध कर्म-निरत रहने का भी कार्य कर सकेगा।
१४- ट्रस्ट, अभावग्रस्त जनहितार्थ स्वाबलंबन विद्यालयों को भी स्थापित कर सकेगा, जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षकों हेतु कुटीर उद्योगों के विकास से सम्बंधित तकनीकी ज्ञान के प्रशिक्षण आदि की समुचित व्यवस्था की जा सकेगी।ट्रस्ट आयुर्वेदिक औषधियों इत्यादि निर्मित वस्तुओं का विपणन व वितरण कर सकेगा और कालान्तर में समर्थ होने पर उत्पादनादिक कार्य भी किए जा सकेंगे |
१५-ट्रस्ट किसी भी प्रकार से व्यक्तिगत, पारिवारिक स्तर पर या विशेष दृष्टि से विज्ञवर को देश-विदेश से बुलवाकर या अपने यहाँ से देश-विदेश में जाकर/व्यक्ति/समूह भेजकर  शिविरों (एकदिवसीय/बहुदिवसीय,पाक्षिक, मासिक, वार्षिक) का आयोजन कर सकेगा।
१६ - ट्रस्ट अपने कार्य संचालन हेतु आवश्यक नियम-उपनियम बनाता रहेगा तथा आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन-परिवर्धन भी करता रहेगा, किन्तु इस कारण संस्थान के संस्थापन के उद्देश्यों,लक्ष्यों एवं भावनाओं का उल्लंघन नहीं होगा।
१८. ट्रस्ट द्वारा साहित्य के साथ विविध कलाओं/क्षेत्रों में भी कार्य विस्तार किया जा सकेगा , साथ ही क्षेत्र विशेष से चयनित एवम पुरस्कृत करने का कार्य भी किया जा सकेगा |
१९. ट्रस्ट, प्रकाशन सहित विविध कार्य हेतु अपने संस्थानों की स्थापना  व संचालन कर सकेगा, इस हेतु सर्वाधिकार ट्रस्ट का रहेगा |
२०. ट्रस्ट द्वारा जनहितार्थ लोकमंगल की भावना से योग, आयुर्वेद, पर्यावरण, गो, जल-थल-वायु प्रदूषण निवारण व सामयिक उत्थापन , जनकौशल विकास व धनार्जन/संग्रह  हेतु विविध प्रकल्पों का आरंभ व संचालन इत्यादिक कार्य किए जा सकेंगे, जिन पर सर्वाधिकार ट्रस्ट का रहेगा |
२२. ट्रस्ट सहकार की भावना से स्थापित किया जा रहा है , जो समाज, ग्राम-नगर से लेकर देशोत्थान की दृष्टि से कार्य करेगा और इस निमित्त कार्यक्रम व योजनाएँ बनाकर संचालित व नियंत्रित करता रहेगा , जिन पर ट्रस्ट का एकाधिकार रहेगा |
२३. ट्रस्ट, कालान्तर में व्यावसायिक समूह के रूप में भी पंजीकृत होकर देशोन्नति में योगदान देने सी भावना रखता है, परन्तु वह सब अलग प्रकल्प होंगे | ट्रस्ट की मूल भावना बरकरार रखते हुए कार्य विस्तार होता रहेगा |

        प्रदेश अध्यक्ष
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
मो:- 8109643725

छंद

जब कोई भारत माँ का बेटा शहीद होता है तो उसके घर पर क्या गुजरती है प्रतिक्रिया बताने के लिए , कवि कुमार मनोज जी की कुछ पंक्तियाँ :-

सुख भरपूर गया , मांग का सिंदूर गया , नंगे नौनिहालों की लंगोटियां चली गयी ।
बाप की दवाई गयी , भाई की पढाई गयी , छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ चली गयी ॥
ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता ही नहीं , पूरे ही जिस्म की बोटिया चली गयी ।
आपके लिए तो एक आदमी मरा है साहब , किंतु मेरे घर की तो रोटियां चली गयी ॥

साहित्य एक्सप्रेस

साहित्य एक्सप्रेस ( मासिक साहित्य पत्रिका ) में रचनाएँ प्रकाशन हेतु शर्ते लागू है -

साहित्य एक्सप्रेस ( मासिक साहित्य पत्रिका ) में प्रकाशन हेतु आपकी रचनाएँ (कविताएँ, गीत, छंद, मुक्तक, गज़ल, दोहा, कहानी,आलेख  से सम्बंधित विधा) आमंत्रित हैं। इच्छुक रचनाकार bhanusharma977@gmail.com  ईमेल पर अपनी रचना प्रेषित कर सकते हैं।

1. संपादक मंडल के निर्णय के बाद रचनाएँ ' साहित्य एक्सप्रेस ' मासिक पत्रिका में प्रकाशित की जायेगी।
    जिसकी सूचना रचनाकार को ईमेल द्वारा भेजी जायेगी।

2. रचनाएँ मौलिक, अप्रसारित, अप्रकाशित होनी चाहिए।

3. अधूरी व अस्पष्ट रचनाएँ मान्य नहीं होगी।

4- प्रकाशन सामग्री व परिचय हिन्दी में टाइप किया हुआ होना चाहिए। (परिचय में फोटो के साथ
    मोबाइल नम्बर व अपनी मेल आई डी अवश्य लिखें )

नोट :- अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें-
         संपादक : भानु शर्मा
         साहित्य एक्सप्रेस
         मो. न. - 70893 18279////9399004721
         ईमेल :-   bhanusharma977@gmail.com

गीत


गीत:-

तेरे बिन क्या गज़ल़ कहूं मैं,
कैसा मैं अनुराग लिखूं।
उसके मन के गीत लिखूं मैं,
या गीतो का राग लिखूं।।

हँसी ठिठोली कोमल काया,
भँवरो का गुंजार सुनो।
हाथ पकड़कर साथ चला मैं,
परिभाषित इकरार सुनो।।
रूठी रूठी रहती है वो,
मैं तो राग विहाग लिखूं।
उसके मन के गीत लिखूं मैं,
या गीतो का राग लिखूं।।1।।

लहरे उठती है मन अंदर,
जैसे उठती सागर में।
अमृत सा जलपान करूं मैं,
भरा मिला जो गागर में।।
चिंगारी से बनती शोला,
शोला जैसी आँग लिखूँ।
उसके मन के गीत लिखूं मैं,
या गीतो का राग लिखूं।।2।।

दूर नहीं जा सकता उससे,
मन कुण्ठित हो जायेगा।
रंग महल जो बना जिगर मे,
वो खंडित हो जायेगा।।
पायल की झंकार सुनाती,
कैसे मैं बैराग लिखूं।
उसके मन के गीत लिखूं मैं,
या गीतो का राग लिखूं।।3।।

पानी बिन मछली न रहती,
कुआँ नदी तालाबों में।
प्यार का मतलब अलग-अलग है,
देखा रंग गुलाबों में।।
वृद्धाश्रम हर नगर नगर में,
इसको केवल त्याग लिखूं।।
उसके मन के गीत लिखूं मैं,
या गीतो का राग लिखूं।।4।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र :- 8109643725

Saturday, March 2, 2019

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत की पहल यूट्यूब चैनल







*_विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत_*

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत* के तत्वावधान में आप सभी के लिए लेकर आये है। एक *सुनहरा अवसर* जो आपको साहित्य के क्षेत्र में एक नयी पहचान देगा।
               BHARAT  & BHARAT चैनल पर हम आपके द्वारा रचित सभी विधाओ को जैसे:- गीत,ग़ज़ल, मुक्तक,छंद,कविताऐ और कहानियों को  प्रसारित करेंगे। आप अपनी रचनाओं का आनंद ले सकते है। अपने You Tube चैनल BHARAT & BHARAT  पर।

BHARAT & BHARAT  चैनल को *सब्सक्राइब* करना न भूलें।

नोट:-
● संक्षेप परिचय।
● एक फोटो।
● रचना:- ऑडियो/विडियो।

धन्यवाद

निवेदक:-
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
प्रदेश अध्यक्ष
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
छतरपुर मध्यप्रदेश इकाई
व्हाट्स ऐप नं.8109643725
Email:- neetendrasinghparmar15@gmail.com

शिवा बावनी

महाकवि भूषण रचित छंद

साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है ।
‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के,
नदी नद मद गैबरन के रलत है ।।
ऐल फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल,
गजन की ठेल पेल सैल उसलत है ।
तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि,
थारा पर पारा पारावार यों हलत है ।

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। नीतेंद्र सिंह परमार भारत छतरपुर मध्यप्रदेश

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। आज दिनांक 6 जुलाई 2025 दिन रविवार को गायत्री शक्तिप...