जब कोई भारत माँ का बेटा शहीद होता है तो उसके घर पर क्या गुजरती है प्रतिक्रिया बताने के लिए , कवि कुमार मनोज जी की कुछ पंक्तियाँ :-
सुख भरपूर गया , मांग का सिंदूर गया , नंगे नौनिहालों की लंगोटियां चली गयी ।
बाप की दवाई गयी , भाई की पढाई गयी , छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ चली गयी ॥
ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता ही नहीं , पूरे ही जिस्म की बोटिया चली गयी ।
आपके लिए तो एक आदमी मरा है साहब , किंतु मेरे घर की तो रोटियां चली गयी ॥
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