🍎🌳 कुंडलिया छंद 🌳🍎
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दौड़ - लेखनी तीव्र है, लिखे सार - भंडार।
शिक्षित-जन रखते कलम,लिखने को तैयार।
लिखने को तैयार, मनीषी झट लिख लेता।
करता नूतन खोज, आदमी ग्रंथ सृजेता।
हो जाती लिपिबद्ध, यथावत् करनी-कथनी।
अंकित होते तथ्य,अजब है दौड़ - लेखनी।
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स्याही, कलम, दवात ने, रचकर वेद-पुराण।
ज्ञान-सिंधु,विज्ञान लिख,किया विश्वकल्याण।
किया विश्व कल्याण, दिमागी शक्ति बढ़ायी।
लिखा चिकित्साशास्त्र,राह आरोग्य दिखायी।
ऋषि - विज्ञों के शोध, हमें करते उत्साही।
सदा लेखनी सफल, काम आयी है स्याही।
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कूची,कागज, लेखनी, शिक्षा का आधार।
तख्ती, खड़िया, रंग से, भरा रहा संसार।
भरा रहा संसार, पठन कीमती कला है।
संविधान-विज्ञान,कलम से न्याय चला है।
कलमकार हैं धन्य, ज्ञान की बनती सूची।
अत्यावश्क साध्य, लेखनी, कागज,कूची।
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● डॉ शेषपालसिंह 'शेष'
'वाग्धाम'- 11डी/ई-36डी,
बालाजीनगर कालोनी,
टुण्डला रोड,आगरा-282006
मोबाइल नं0 -- 9411839862
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