🍏🌷 हिंदुस्तान में 🌷🍏
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[ गीतिका ]
निरत ही रहना निरंतर, नवल अनुसंधान में।
सँभलकर चलना, खड़े हैं, युद्ध के मैदान में।
कौन हारा,कौन विजयी,विगत में क्या-क्या हुआ?
पंथ अनुपम ग्रहण करना,व्यस्त हैं अभियान में।
कोश बुद्धि-विवेक विस्तृत, बहुत अपने पास है,
मात खाता विषभरा जो, डूबकर अभिमान में।
विघ्न - बाधाएँ नहीं हैं, फैसले लेकर चलें,
जिंदगी हीरे भरी है, स्वर्णपथ आसान में।
लोभ-लालच घट हमेशा, फोड़ देना चाहिए,
मधुर फल श्रम से मिलेगा, क्यों पड़ें व्यवधान में।
सूक्ष्मतम पर दृष्टि डालें, चक्षुओं में शक्ति है,
फूँककर हर कदम रखना, तोड़ भ्रम संज्ञान में।
विश्व में संघर्ष अगणित, शांति से हैं दूरियाँ,
पा लिया सर्वस्व हमने, जन्म हिंदुस्तान में।
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● डॉ शेषपालसिंह 'शेष'
'वाग्धाम'-11डी/ई-36डी,
बालाजीनगर कालोनी,
टुण्डला रोड,आगरा-282006
मोबाइल नं0 -- 9411839862
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