◆ शोकहर/सुभंगी छंद ◆
विधान~[8,8,8,6 मात्राओं पर यति,पहली दूसरी
यति अंत तुकान्त,चार चरण समतुकांत,
चरणान्त गुरु अनिवार्य]
नंददुलारे, सबके प्यारे , हे मनमोहन, बनवारी।
जग प्रतिपाला, हे गोपाला, हे गोविंदा, गिरिधारी।।
घट घट वासी,हेअविनाशी,हे सुखरासी,शुभकारी।
धेनु चरैया, वेणु बजैया,"सोम"सदा मैं, बलिहारी।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
No comments:
Post a Comment