Wednesday, July 20, 2022

जीवनी-हाकी के जादूगर : मेजर ध्यानचंद - संतोष कुमार सिंह मथुरा, उ०प्र०

जीवनी-हाकी के जादूगर : मेजर ध्यानचंद
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खेल मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। जो व्यक्ति कोई न कोई खेल खेलता है, वह स्वस्थ अवश्य ही रहता है।
        भारत में कई खेल प्रतिभाओं ने जन्म लिया है। जैसे- 'उड़नपरी' के नाम से प्रसिद्ध पी०टी० उषा, 'मास्टर ब्लास्टर' के नाम से प्रसिद्ध सचिन तेंदुलकर और 'हाकी के जादूगर' के नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद। आज मैं, मेजर ध्यानचंद के बारे बताने जा रहा हूँ।
        
       हाॅकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ( इलाहाबाद) शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम सूबेदार समेश्वर दत्त सिंह और माता का नाम शारदा सिंह था।
   ध्यानचंद, साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद 16 वर्ष की आयु में एक सिपाही के रूप में सेना में भर्ती हुए थे। सेना में रहते हुए ही इन्होंने हाॅकी के खेल  में रुचि ली। धीरे-धीरे ये हाॅकी खेल प्रतिस्पर्धाओं में उत्तम प्रदर्शन करने लगे। इसी कारण सेना में पदोन्नति देकर सन् 1927 में लांस नायक, सन् 1936 सूबेदार बना दिए गए थे। ...उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन करते रहने पर लेफ्टीनेंट, कैप्टेन और फिर मेजर बने।

       मेजर ध्यानचंद हॉकी के इतने बेहतरीन खिलाड़ी थे कि अगर गेंद एक बार उनकी स्टिक से चिपक जाए तो गोल करने के बाद ही हटती थी। यही कारण था एक बार खेल को बीच में रोककर उनकी स्टिक तोड़कर देखा गया कि कहीं उनकी स्टिक में चुंबक या कोई ऐसी चीज तो नहीं लगी है जो बाॅल को चिपका लेती है। यही कारण है कि उनको 'हॉकी का जादूगर' कहा जाता है। मेजर ध्यानचंद तीन बार ओलंपिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे थे, जिनमें सन् 1928 का एम्सटर्डम ओलंपिक सन् 1932 का लॉस एंजिल्स ओलंपिक एवं 1936 का वर्लिन ओलंपिक शामिल है। सन् 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद को भारतीय टीम का कप्तान चुना गया था। उन्होंने 1926 से 1948 तक अपने कैरियर में 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल किए थे। जब कि पूरे कैरियर में एक हजार के लगभग गोल किए थे। इतना ही नहीं, जब ध्यान चंद हॉकी से रिटायर हो गए तो उसके बाद भी उनके प्रदर्शन की चमक भारतीय हॉकी टीम में बनी रही। भारत ने 1928 से 1964 तक खेले गए आठ ओलंपिक खेलों में से 7 में गोल्ड मेडल जीता था।

     भारत सरकार ने इस महान खिलाड़ी को सम्मानित करते हुए सन् 2012 में इनके जन्मदिन को *राष्ट्रीय खेल दिवस*' के रूप में मनाने का फैसला लिया था। उन्हें भारत सरकार द्वारा सन् 1956 में 'पदम भूषण' सम्मान से सम्मानित भी किया गया था।
     राष्ट्रीय खेल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े तौर पर मनाया जाता है।  इसका आयोजन प्रतिवर्ष राष्ट्रपति भवन में किया जाता है और राष्ट्रपति द्वारा देश के उन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिया जाता है, जिन्होंने अपने खेल के उत्तम प्रदर्शन द्वारा पूरे विश्व में तिरंगे झंडे का मान बढ़ाया होता है। राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों  के अंतर्गत, अर्जुन अवॉर्ड, राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड और द्रोणाचार्य अवार्ड जैसे कई पुरस्कार देकर खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है। इन सभी सामानों के साथ ,ध्यानचंद अवार्ड, भी इसी दिन दिया जाता है।
     सन 1979 में मेजर ध्यानचंद की मृत्यु के बाद भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में स्टाम्प भी जारी किए थे। दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम भी बदल कर उनके नाम पर 'मेजर ध्यान चंद स्टेडियम' रख कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। इतना ही नहीं 6 अगस्त 2021 को राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न' कर दिया गया है।

मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन अर्थात प्रतिवर्ष 29 अगस्त को *राष्ट्रीय खेल दिवस* के दिन उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को भारत के महामहिम राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन में बुलाकर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों से  खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं। इस अवसर पर खिलाड़ियों के साथ-साथ उनकी प्रतिभा निखारने वाले खेल प्रशिक्षकों को भी सम्मानित किया जाता है। इसके अतिरिक्त लगभग सभी स्कूलों तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं में 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के दिन अपना सालाना खेल समारोह आयोजित करते हैं।
   *मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान* पाने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति द्वारा एक पदक, एक प्रमाण पत्र तथा नकद राशि  25,00,000 रुपए दी जाती है। सम्मानित व्यक्तियों को रेल की मुक्त पास सुविधा प्रदान की जाती है, जिसके अंतर्गत  राजधानी या शताब्दी गाड़ियों में प्रथम और द्वितीय श्रेणी वातानुकूलित कोचों में मुफ्त यात्रा कर सकते हैं।
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 संतोष कुमार सिंह
       मथुरा, उ०प्र०
मोबाइल 9456882131

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