Monday, July 29, 2019

सावन लोकगीत :- सोम जी

* सावन-लोकगीत *

घन घुमड़त चहुँ ओर,
              भलो सावन को महीना रे
झूमत   पवन  झकोर,
              भलो सावन को महीना रे......
1-रिमझिम  बरसत मेघ फुहारी।
   बिजुरी चमकत गगन मझारी।।
करवे काम किलोर,
               भलो सावन को महीना रे....
2-पीहू   पीहू   करत    पपीहरा।
   गिरत बूँद जर उठत है जियरा।।
मोर मचावत शोर,
             भलो  सावन को महीना रे....
3-नव तरू पल्लव डाली-डाली।
   झूला  डार   झूलवत  आली।।
हरियाली चहुँ ओर,
               भलो सावन को महीना रे...
4-वापी  कूप  व  सर  सरितायें।
   अरुणारी   हो   गईं   दिशायें।।
शैलेन्द्र सब सराबोर,
               भलो सावन को महीना रे....

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Saturday, July 27, 2019

राष्ट्र गूंज:-

राष्ट्र~गूँज
ई पत्रिका विशेषांक

सभी कलमकार साथियों को सहर्ष सूचित किया जाता है कि विश्व जनचेतना ट्रस्ट, भारत स्वतन्त्रता दिवस महोत्सव में इस पत्रिका का विमोचन करेगा, जो भी रचनाकार इस पत्रिका में प्रकाशित होना चाहता है, वह अपनी ओजपूर्ण, देशप्रेम से सन्दर्भित मौलिक रचना हिन्दी साहित्य की किसी भी विधा में भेज सकता है, शीघ्रता के साथ सम्पादक महोदय के पास अपनी प्रकाशन सामग्री निःशुल्क भेजें|

सम्पादक
शिवम् दीक्षित " दादा "

राष्ट्र ~गूँज
साहित्यिक ई पत्रिका
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
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निवेदक
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
संस्थापक
विश्व जनचेतना ट्रस्ट ,भारत

Thursday, July 25, 2019

नौ प्रकार की जानकारी -प्रथ्वी पर

*पृथ्वी की ये 9 प्रकार की जानकारी आपको कहीं और न मिलेगा न कोई बताएगा:-* 👇🏻

*xxxxxxxxxx 01 xxxxxxxxxx*
*दो लिंग :* नर और नारी ।
*दो पक्ष :* शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
*दो पूजा :* वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
*दो अयन :* उत्तरायन और दक्षिणायन।

*xxxxxxxxxx 02 xxxxxxxxxx*
*तीन देव :* ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
*तीन देवियाँ :* महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
*तीन लोक :* पृथ्वी, आकाश, पाताल।
*तीन गुण :* सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
*तीन स्थिति :* ठोस, द्रव, वायु।
*तीन स्तर :* प्रारंभ, मध्य, अंत।
*तीन पड़ाव :* बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
*तीन रचनाएँ :* देव, दानव, मानव।
*तीन अवस्था :* जागृत, मृत, बेहोशी।
*तीन काल :* भूत, भविष्य, वर्तमान।
*तीन नाड़ी :* इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
*तीन संध्या :* प्रात:, मध्याह्न, सायं।
*तीन शक्ति :* इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।

*xxxxxxxxxx 03 xxxxxxxxxx*
*चार धाम :* बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
*चार मुनि :* सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
*चार वर्ण :* ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
*चार निति :* साम, दाम, दंड, भेद।
*चार वेद :* सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
*चार स्त्री :* माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
*चार युग :* सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
*चार समय :* सुबह, शाम, दिन, रात।
*चार अप्सरा :* उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
*चार गुरु :* माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
*चार प्राणी :* जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
*चार जीव :* अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
*चार वाणी :* ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
*चार आश्रम :* ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
*चार भोज्य :* खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
*चार पुरुषार्थ :* धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
*चार वाद्य :* तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।

*xxxxxxxxxx 04 xxxxxxxxxx*
*पाँच तत्व :* पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
*पाँच देवता :* गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
*पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ :* आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
*पाँच कर्म :* रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
*पाँच  उंगलियां :* अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
*पाँच पूजा उपचार :* गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
*पाँच अमृत :* दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
*पाँच प्रेत :* भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
*पाँच स्वाद :* मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
*पाँच वायु :* प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
*पाँच इन्द्रियाँ :* आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
*पाँच वटवृक्ष :* सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
*पाँच पत्ते :* आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
*पाँच कन्या :* अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।

*xxxxxxxxxx 05 xxxxxxxxxx*
*छ: ॠतु :* शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
*छ: ज्ञान के अंग :* शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
*छ: कर्म :* देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
*छ: दोष :* काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच),  मोह, आलस्य।

*xxxxxxxxxx 06 xxxxxxxxxx*
*सात छंद :* गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
*सात सुर :* षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
*सात चक्र :* सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
*सात वार :* रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
*सात मिट्टी :* गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
*सात महाद्वीप :* जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
*सात ॠषि :* वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
*सात ॠषि :* वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
*सात धातु (शारीरिक) :* रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
*सात रंग :* बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
*सात पाताल :* अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
*सात पुरी :* मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
*सात धान्य :* उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।

*xxxxxxxxxx 07 xxxxxxxxxx*
*आठ मातृका :* ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
*आठ लक्ष्मी :* आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
*आठ वसु :* अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
*आठ सिद्धि :* अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
*आठ धातु :* सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।

*xxxxxxxxxx 08 xxxxxxxxxx*
*नवदुर्गा :* शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
*नवग्रह :* सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
*नवरत्न :* हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
*नवनिधि :* पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।

*xxxxxxxxxx 09 xxxxxxxxxx*
*दस महाविद्या :* काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
*दस दिशाएँ :* पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
*दस दिक्पाल :* इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
*दस अवतार (विष्णुजी) :* मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
*दस सति :* सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।                 
वन्दे मातरम
भारत माता की जय

Tuesday, July 23, 2019

एक कदम और

*🌹एक कदम और-----🌹*
            *अर्द्धवार्षिक पत्रिका*

सदस्यता शुल्क ~

वार्षिक ~ 500₹
निःशुल्क प्रकाशन
पत्रिका की ~5 प्रतियाँ
सम्मान पत्र

पञ्पवर्षीय~ 2000₹
एकवर्षीय सुविधाओं के साथ
पत्रिका के आन्तरिक मण्डल का सदस्य, विशेष आयोजनों में प्रतिभाग|

आजीवन~ 5000₹
पंचवर्षीय सुविधाओं के साथ, पदाधिकार ,संरक्षक मंडल की सदस्यता,एवं विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत की सदस्यता ,विशेष कार्यक्रमों में विशेष सम्मान |

कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
प्रधान सम्पादक
एक कदम और
संरक्षक
विश्व जनचेतना ट्रस्ट ,भारत
🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹

Saturday, July 20, 2019

*डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'* तुलसी

🌱🌱 *तुलसी*🌱🌱
               [दोहा]
♾♾♾♾♾♾♾

तुलसी    बिरवा   रोपिये,
जो   चाहो  सुख - शांति।
औषधीय  गुण खान यह,
तनिक   नहीं  है भ्रांति।।1।

सर्दी     और   ज़ुकाम  में,
खाँसी     में       उपयोग।
श्वास  - रोग  तुलसी   हरे,
करे      देह      नीरोग।।2।

पूजनीय     तुलसी   सदा,
बिरवा       रोपो       गेह।
वायु  शुद्ध   घर   की करे,
बढ़े      परस्पर     नेह।।3।

तुलसी  माला  कर   गहो,
फेरो         सुबहो - शाम।
ग्रीवा   में    धारण  करो,
शांति मिले उर  धाम।।4।

श्वसन-क्रिया को खोलता,
वाणी      का     अवरोध।
अंत  समय  रस    डालते-
तुलसी  नहीं   विरोध।।5।।

वात   रोग   मूर्छा   वमन ,
कफ   की   औषधि मित्र।
वन तुलसी  हरती  जलन,
औषधि एक  विचित्र।।6।

पथरी में अति  लाभकर,
मूत्र    निस्सारक   होय।
सुख से प्रसव करा सके-
तुलसी सुख से सोय।।7।

यूगेनल   थयमोल   सम,
उड़नशील    बहु    तेल।
वन तुलसी   के घटक हैं,
देते     शांति   सुमेल।।8।

श्यामा  तुलसी  ज्वर हरे,
करे   दूर    पित     रोग।
रक्तदोष  कफ़  कोढ़ भी,
नहीं  करें  तन -भोग।।9।

मलेरिया   क्षयरोग    के,
मरते    सब      कीटाणु।
तुलसी की  सद्गन्ध  ही,
हरती  हर रोगाणु।।10।

हिचकी पसली -दाह में,
तुलसी    का   उपयोग।
नेत्रज्योति   में  वृद्धि  दे,
हरे  पित्त के रोग।।11।

  काया    में   थिरता  भरे,
*'कायस्था'*  है      नाम।
  तुलसी   तीव्र  प्रभावमय,
*' तीव्रा'* नाम सुनाम।12।

देवगुणों      का    वास  है,
*'देव दुंदुभी'*         नाम।
दैत्य   -    रोग     संहारती,
'दैत्यघि' 'शुभम' सुनाम।13।

मन     वाणी  औ'  कर्म से,
करती      सदा       पवित्र।
नाम  *'पावनी'* है शुभम,
*'सरला '* भी यह मित्र।।14

नारी     के    यौनांग   को ,
करती         निर्मल     पुष्ट।
*'सुभगा'* तुलसी  नाम है,
   है घर - घर  की इष्ट।।15।

निज    लालारस   से   करे,
सारी      ग्रंथि         सचेत।
*'सुरसा'* कहलाती शुभम,
तुलसी   मानव  हेत।।16।

देह     गेह    पल्लव    करें ,
पावन      जहाँ      निवास।
*'पूतपत्री'* भी    नाम   है,
तुलसी 'शुभम ' सुवास।।17।

तुलसी  सेवन   जब   करें,
दूध  न       लेना      पान।
चर्म  - रोग    गर्मी     बढ़े,
बात 'शुभम ' की मान।।18।

तुलसी-दल शिवलिंग पर,
नहीं       चढ़ाना     मीत।
ग्रंथों    में   ऐसा    लिखा ,
यही   पुरानी   रीत।।19।

तुलसी  शोभा    गेह  की,
पावन      करती      देह।
सद सुगंध   व्यापित करे,
बढ़े  शांति  उर  गेह।।20।

तुलसी      पौधा    रोपिये,
पावन     दिन      गुरुवार।
विष्णु  -प्रिया   कहते  इसे,
कार्तिक'शुभम'विचार।।21।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌱 *डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'*

www.hinddhanush.blogdpot.in

20.07.2019◆12.45PM

🌱🌳🌱🌳🌱🌳🌱🌳

डमरू घनाक्षरी छंद

डमरू घनाक्षरी

उमड़ उमड़ कर
लहकत जलधर
टहलत नभचर,उड़ उड़ नभ पर।

सन सनन सनन
अब चलत पवन
महकत उपवन,झर-झर तन पर।

बरस बरस घन
घनन घनन घन
उड़त सकल मन, सरबस तब तर।

स्वच्छ रख तन मन
कर सहज मनन
गरल-धर नमन, भज अब हर हर।।
            रजनी रामदेव
               न्यू दिल्ली

डमरू घनाक्षरी छंद

8 8 8 8  --32 मात्रा (बिना मात्रा के)

मन यह नटखट, छण छण छटपट,
मनहर नटवर, कर रख सर पर।

कल न पड़त पल, तन-मन हलचल,
लगत सकल जग, अब बस जर-जर।

चरणन रस चख, दरश-तड़प रख,
तकत डगर हर, नयनन जल भर।

मन अब तरसत, अवयव मचलत,
नटवर रख पत, जनम सफल कर।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

🌷🌷डमरू घनाक्षरी🌷🌷

मतकर अनबन
   कर अब एक मन
      चल मत वन वन
          कह सच जन जन।

लखत सजल घन
   महकत उपवन
      मकरत बगरत
         चहकत तनमन।

कर मत बक बक
    बढ़कर लभ हक
         कर अब तर अब
              मत भर उलझन।

पग पग चल अब
     इत मत ढल अब
         रहमत रब कर
            तज सब फरकन।

   के आर कुशवाह " हंस"

*डमरू घनाक्षरी*

अगन बढ़त जब
         कल न पढ़त तब
जलचर तड़पत
           तन मन झुलसत।।

नटखट नटवर
        अब हठ मत कर
घनन घनन घन
          छम छम बरसत।।

चल चल चल चल
           चल अब घर चल
जल जल बस जल
           जन जन डरपत।।

नयनन जल भर
      चरण नमन कर
जनम सफल कर
       हर जन हरषत।।

बीना शर्मा"झंकार"

20/07/19

बम बम बम बम
डम डम डम डम
हर हर हर हर
जय जय जय जय

कल कल कल कल
बहत रहत जल
  लहर लहर भर
उछल उछल कर

पवन सनन सन
चलत घनन घन
मचल रहत मन
अचर उड़त फर

अनहद भगवन
वन वन उपवन
मन धवल कर
  पल पल भज कर

🙏माया की नमस्कार
२०--७--२०१९

Friday, July 19, 2019

डमरू छंद सोम जी

◆डमरू घनाक्षरी◆

   (वर्षा वर्णन)

शिल्प~32 वर्ण बिना मात्रा,8,8,8,8
वर्णों पर यति, चार चरण समतुकांत।

बरसत जब जल,
  बहत  धरन  तल,
    कलरव कल-कल,घनन-घनन घन।
मकर उरग गन,
  हरषत  मन-मन,
    बन  मन  उड़गन, बगरत वन-वन।।
सकल  धरन तर,
  सरस  बहत झर,
    जल थल  नभचर,लगत मगन मन।
दलदल मग-मग,
  सरकत पग-पग,
    मदन बदन  लग,जगत अगन तन।।

                          ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

सवैया विधान

सवैया: इसमें चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में तुकांत होता है और गणों की व्यवस्था समान रहती है। गणों की व्यवस्था के आधार पर सवैये के कई भेद होते हैं। जैसे:

वागीश्वरी सवैया – सात यगण, एक लघु और एक गुरु ।

यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता ल गा ।

भुजंग सवैया – आठ यगण ।

यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता यमाता ।

मंदार माला सवैया – सात तगण और एक गुरु ।

ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज गा ।

सर्वगामी सवैया – सात तगण और दो गुरु ।

ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज गा गा ।

आभार सवैया – आठ तगण ।

ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ताराज ।

गंगोदक सवैया – आठ रगण ।

राजभा राजभा राजभा राजभा राजभा राजभा राजभा राजभा ।

सुमुखी सवैया – सात जगण, एक लघु और एक गुरु।

जभान जभान जभान जभान जभान जभान जभान लगा ।

बाम सवैया – सात जगण और एक यगण ।

जभान जभान जभान जभान जभान जभान जभान यमाता ।

मुक्ताहरा सवैया – आठ जगण ।

जभान जभान जभान जभान जभान जभान जभान जभान ।

मोद सवैया – पाँच भगण, एक मगण, एक सगण और एक गुरु ।

भानस भानस भानस भानस भानस मातारा सलगा गा ।

मदिरा सवैया – सात भगण और एक गुरु। ऊपर बताई गयी गण-संरचना के अनुसार,

भानस भानस भानस भानस भानस भानस भानस गा ।

किरीट सवैया – आठ भगण ।

भानस भानस भानस भानस भानस भानस भानस भानस ।

मत्तगयंद सवैया – सात भगण और दो गुरु ।

भानस भानस भानस भानस भानस भानस भानस गा गा ।

दुर्मिल सवैया – आठ सगण।

सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा ।

सुंदरी सवैया – आठ सगण और एक गुरु ।

सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा गा ।

सुखी सवैया – आठ सगण और दो लघु ।

सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा ल ल ।

Wednesday, July 17, 2019

नाम:- डॉ. भगवान स्वरूप जी

◆ *कवि-परिचय*◆
  ♾♾♾♾♾♾♾
नाम : *डॉ. भगवत स्वरूप*
         *'शुभम'*
*पिता:*  स्व.श्री मौहर सिंह
*माँ:* स्व.श्रीमती द्रौपदी देवी
*जन्मतिथि:* 14 जुलाई 1952 ई.
*जन्म स्थान:* ग्राम-पुरा लोधी, पत्रालय-यमुना ब्रिज,
जनपद- आगरा(उ.प्र.)।
*स्थाई पता:* 62, डाल नगर, अरांव रोड, सिरसागंज
(फ़िरोज़ाबाद) 283 151.
*शिक्षा :* बी.एस सी. ; एम.ए.(हिंदी) ; पीएच.डी.(1978).
*फैलोशिप:* फैलो ऑफ यूनाइटेड राइटर्स  एसोशिएशन ऑफ इंडिया ,चेन्नई (भारत).
[FUWAI].
फैलो ऑफ इंटरनेशनल बायोग्राफिकल रिसर्च फाउंडेशन , नागपुर (भारत)
[FIBR].
*लेखन श्रीगणेश:* वर्ष 1963 से  अद्यतन।
*लेखन -विधा:* काव्य( छन्दबद्ध , अतुकांत),
,कहानी, लघुकथा, बाल साहित्य, नाटक , एकांकी,
निबंध, हास्य-व्यंग्य, उपन्यास
,शोधपत्र, समीक्षा आदि।
     ✍   *कृतित्व* ✍
     - *प्रकाशित ग्रंथ:*-
1. श्रीलोकचरित मानस (व्यंग्य काव्य) :1992
2.बोलते आँसू (खंडकाव्य) :
1993.
3.स्वाभायनी (ग़ज़ल संग्रह):
2000.
4.ताजमहल (खंडकाव्य):
2008.
5.ग़ज़ल (उपन्यास): 2008.
6.नागार्जुन के उपन्यासों में
आंचलिक तत्त्व (शोध ग्रंथ):
2008.
7.सारी तो सारी गई (व्यंग्यकाव्य): 2009.
8.रसराज (ग़ज़ल संग्रह):
2011.
9. फिर बहे आँसू(खंडकाव्य)
:2018.
10. तपस्वी बुद्ध  (महाकाव्य):   2018.

    - *अप्रकाशित ग्रन्थ:*-
1.इंद्रधनुष मेरी बाँहों में :
(काव्यसंग्रह)
2.काली लकीर: (कहानी संग्रह).
3.अतीत (उपन्यास).
4.अहल्या पत्थर की नहीं थी:
(नाटक).
5.आओ आलू आलू खेलें:
(काव्य).
6.'शुभम' दोहानन्द :(दोहा संग्रह).
7.'शुभम' कुण्डलिया कुंज:
(कुण्डलिया संग्रह).
8.'शुभम' बाल गीतावली
(बाल काव्य).
9. तीर -ए-नज़र : (व्यंग्य- संग्रह).
10. गीत - बहार : (गीत संग्रह).

*सम्मान , पुरस्कार व अलंकरण:*
1.'कादम्बिनी' द्वारा आयोजित समस्या-पूर्ति प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार
(1999).
2.सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन , नई दिल्ली में 'राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान ' से अलंकृत
(14-23 सितंबर 2000).
3.जैमिनी अकादमी पानीपत
हरियाणा द्वारा 'पद्मश्री डॉ.लक्ष्मीनारायण दुबे स्मृति सम्मान ' से विभूषित.
(04.08.2011).
4.यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन चेन्नई  द्वारा
'यू. डब्लू.ए. लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड '  से सम्मानित (2003).
5.'तूलिका बहुविधा मंच '
द्वारा  वृंदावन में  'दोहाश्री' सम्मान से सम्मानित (05.06.2019).
*जीवनी प्रकाशन:*
कवि , लेखक तथा शिक्षाविद के रूप में देश -विदेश की डायरेकट्रीस में जीवनी प्रकाशित:
1.,2. :Asia Pacilfic :Who's Who:1988 (Vol.3 & 4).
3.,4.: Asian /American
Who's Who:2002,2003(Vol.2 & 3).
5.Biography Today :2001  (Vol.2).
6. Element Personalities of India.
7.CONTEMPORARY
WHO'S. WHO 2002/2003 .
Published by  The American Biographi- cal  Research Institute
5126, Bur Oak Circle,
Religh North Carolina, *U.S.A.*
8.Reference India :2003  (Vol.1).
9.Indo Asean  Who's Who :2003 (Vol.2).
10. Reference Asia :.2004 (Vol.1).
11.Biography International :2004 (Vol.6).
12.,13&14:. Asian Admirable Achievers:2011.,2012 & 2013   (Vol.5,6 &7)
15.,16.: Asia Pacific Who's ,Who :2012,2013
  (Vol.11,12).
17.वृहत हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोष- -2014:प्रकाशक- हिंदी साहित्य निकेतन, 16,साहित्य विहार, बिजनौर उ.प्र.।
*संप्रति :* प्राचार्य (से.नि.),
राजकीय महिला स्नातकोत्तर
महाविद्यालय , सिरसागंज
(फ़िरोज़ाबाद) [उ.प्र.].
*कवि , कथाकार, लेखक,समीक्षक  एवम विचारक।*
मोबाइल संख्या :09568481040.

💐💐 *शुभमस्तु* 💐💐
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Sunday, July 14, 2019

स्वतंत्रता दिवस

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत द्वारा जय जय काव्य चित्रशाला समूह पर स्वतन्त्रता दिवस महोत्सव कार्यक्रम का भव्य ऑनलाइन आयोजन*
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कार्यक्रम ~

14-7-2019
प्रातः 6:00 से 9:00 ~सरस्वती वंदना एवं स्वागतगीत के ऑडियो एवं माँ शारदे के चित्र प्रेषण कार्यक्रम |

9:00 से 2:00 बजे तक देशभक्ति की मौलिक रचनाओं के ऑडियो सभी रचनाकार स्वतन्त्र रूप से भेजें|
2:00 से 3:30 तक ~साहित्यिक चित्र प्रदर्शन|
3:30 से 4:00 बजे तक सभी कलमकारों की उपस्थिति |

*4:00 बजे से भव्य ऑनलाइन काव्य सम्मेलन का प्रारम्भ*

*नोट~ 4:00 बजे कार्यक्रम समापन तक निर्धारित प्रतिभागी कवि और संचालक महोदय के ऑडियो सुन अपनी लिखित प्रतिक्रिया से गौरवान्वित करें|*
🎤🎤🎤🎤🎤🇮🇳🏆
दिनांक~15 /7/2019

6:00 से 9:00 तक सरस्वती वंदना, ध्वजारोहण, राष्ट्रगान एवं स्वागत गीत|

9:00 से 3:00 देशभक्ति रचनाओं के ऑडियो वीडियो चित्र  व सम्मान उपलब्धियाँ सभी रचनाकार प्रेषित कर कृतार्थ करें |
3:00 से 4:00 तक ~सम्मान समारोह कार्यक्रम में *प्रतिभागी कवियों की उपस्थिति परिचय* एवं प्रचार प्रसार |
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*4:00 बजे से सम्मान समारोह कार्यक्रम रूपरेखा अनुसार प्रारम्भ |ऑडियो वीडियो चित्र लिंक आदि निषेध |*

🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤🎤
प्रतिभागिता हेतु~

1-जीवन परिचय
2-एक ऑडियो ~2 से 4 मिनट का
3-ऑडियो का लिखित रूप
4-एक अपना आकर्षक फोटो

👉🏻प्रविष्टियाँ भेजने के लिए शीघ्र सम्पर्क करें ~

आ. नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी ~8109643725

आ. हरीश विष्ट जी ~9958025807

आ. ओमप्रकाश प्रफुल्ल जी~ 9411583567

आ. संतोष कुमार प्रीत जी ~9140089002

आ. ममता सिंह मीत जी ~9711569810

डॉ. राहुल शुक्ल साहिल जी ~9264988860

दिलीप कुमार पाठक "सरस"
        संस्थापक
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

बचपन दोहा नीतेन्द्र भारत

🌼🌼🌼🌼🍀🌼🌼🌼🌼🌼

*बचपन*

*बचपन* अपना खो गया,आया यौवन रूप।
मेहनत प्रतिदिन कर रहे,छाया हो या धूप।।

*___ नीतेन्द्र भारत*

☀☀☀☀☀🍀☀☀☀☀

राष्ट्रीय पर्व पर :- जनचेतना भारत

विश्वास जनचेतना ट्रस्ट, भारत

राष्ट्रीय पर्व स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक भव्य ओजस्वी कवि सम्मेलन ~
*जय हिंद,जय जय हिन्दी*
के सफलतम् आयोजन हेतु आप सभी स्नेहिल साहित्यकार साथियों को प्रतिभाग हेतु सादर आमन्त्रण इस आशा के साथ प्रदान किया जाता है कि आप कार्यक्रम के साक्षी बनेंगें|👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻🌹🙏🏻🌹👏

कार्यक्रम की रूपरेखा
*स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर*
प्रातः 6:00 से 8:00 बजे सरस्वती वंदना,  ध्वजारोहण,राष्ट्रगान स्वागतगीत|
*प्रातः8:00 से 2:00 बजे तक सभी रचनाकार देश भक्ति के आडियो ,चित्र, वीडियो डालने के लिए स्वतन्त्र हैं |*
*उक्त समय के बाद ऑडियो वीडियो, लिंक, कार्यक्रम समापन तक निषेध*
2:00 बजे से 4:00 बजे तक *साहित्यिक चित्र उपलब्धि ,जीवन परिचय ,स्वयं का फोटो प्रदर्शन*

4:00 बजे से सभी रचनाकार प्रतिभागी साथी का और संचालक महोदय के ऑडियो सुनकर अपनी लिखित प्रतिक्रिया से ओज भर सकते हैं, प्रेरणा दे सकते हैं, आशीष दे सकते, ऊर्जा संचार होगा इसी आशा के साथ ~

सम्मान पत्र ~ हमेशा की तरह अद्भुत, आ. अलंकरण प्रमुख सुमित जी ही बनायेंगे😀👌🏼😀

* प्रतिभागी साहित्यकारों की ओजस्वी प्रस्तुतियाँ*
समय~4:00 बजे से समापन तक
रात्रि 12:00 बजे ~15 अगस्त 2019 का स्वागत ~वंदेमातरम् गीत
स्थान~जय जय काव्य चित्रशाला

प्रतिभाग हेतु
एक ऑडियो~2-4 मिनट की |
एक अपना आकर्षक फोटो
संक्षिप्त परिचय

*5 अगस्त तक ही प्रविष्टियां आमन्त्रित हैं|*

एक रूपरेखा मात्र~🌹🙏🏻🌹👍🏻

प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...