Thursday, July 4, 2019

समीक्षा- 04/07/2019

समीक्षा कार्य अति जटिल प्रक्रिया है फिर भी प्रयास कर रहा हूँ..
*आ०जागेश्वर प्रसाद निर्मल जी*
सामवेद पद्यानुवाद अति उत्तम व आकर्षक सृजन। बधाई हो।
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*कवि तेजवीर सिंह तेज जी*
गोवर्धन की सुंदर स्तुतिगान ।भक्तन के मंगल करें, सकल सँभारे काज।👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*आ०एस.के.कपूर श्री हंस जी*
नारी और "आदमी बेमिसाल तुम नायाब बनो। दोनों ही मुक्तक सारगर्भित एवं संदेशप्रद लाजबाब।👌🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*भावुक जी* द्वारा माँ करणी की अति उत्तम अनुपम स्तुति वाह वाह ।👌🏻👌🏻👌🏻🌷
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*आ० महेश अमन जी*
भेदभाव अब सब मिटे.. सुंदर।
*आ०इन्दू शर्मा शचि जी*
लाजबाब गायन प्रस्तुति👍🏻👌🏻👌🏻👌🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*विषय काल का प्रारंभ*
*कवि जितेन्द्र चौहान दिव्य जी*
वर्तमान की नारी के आचरण पर प्रहार कर सुधार का आधार और सुधरने प्रक्रिया का सुंदर वर्णन किया है। *"सच को सच में कहने की अब सुनो दिव्य है तैयारी।"*
सार्थक व सटीक रचना।बधाई हो।
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*आ०महेश अमन जी*
आपका प्रयास सराहनीय है नारी को साहसिक कदम उठाने को प्रेरित करता कथन *"सदियों से तू सहती रही अब उठा खड्ग भारी। बहुत सुंदर।
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*कवि संतोष कुमार प्रीत जी*
आपके दोहे तो गागर में सागर भरे प्रतीत हो रहे हैं लाजबाब बेहतरिन दोहे।वाह वाह वाह
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*आ०इन्दू शर्मा शचि जी*
आपके द्वारा पौराणिक प्रसंग के माध्यम से नारी के मार्मिक स्थल को स्पर्श करने अनुपम प्रयास रचना आवसान वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करना अति उत्तम रहा।वाह वाह👌🏻🌷
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*आ०ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी*
नारी की प्रशंसा में रची बसी बेहतरीन रचना । *"नारी के सम्मान की रक्षा करने का फर्ज हमारा है।"*।बधाई हो।
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*आ०शान शर्मा जी*
हिम्मत खुद से हार गया जो तो फिर तू इंसान नहीं। बहुत सुंदर।👌🏻🌷
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*आ०नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी*
वाह नारी रुप में बेटियों की अद्भुत सोच को उजागर करती बेहतरीन रचना।बधाई हो।👌🏻
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*आ० तुलाराम अनुरागी "व्योम" जी*
अगर वह रुठ जाये तो लगाये आग पानी में" लाजबाब रचना वाह वाह👌
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आ.कपूर जी के नारी मुक्तक की पुनरावृति विषय काल सार्थक बेहतरीन मुक्तक बहुत बहुत बधाई हो।
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*आ०हरीश विष्ट जी*
वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बेहतरीन घनाक्षरी बहुत बहुत बधाई हो।
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*आ०दिलीप कुमार पाठक जी*
आपकी रचना आधुनिकता लिए गजबबबबबब की रचना हार्दिक बधाई हो।👌
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*आ०अभिज्ञान प्रज्ञा जी*
आप द्वारा सृजित दोहे सार्थक व सटीक लाजबाब।👌👌👌👌
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*समयोपरांत*
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*आ०साधना कृष्ण जी*
तू संकल्पों के विधान से स्वयं को है बांधती। अति उत्तम बेहतरीन रचना वाह वाह वाह👌
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*आ०केवरा यदु मीरा जी*
आपका सृजन अतिअनुपम उत्कृष्ट एवं लाजबाब सराहनीय।बधाई हो।
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समीक्षा पूर्ण हुई बिलम्व के लिए सभी साथियों से क्षमा चाहूँगा।
आस
जय जय।।

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