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*अधिकार/हक*
हक पाने का आज समय,फिर आया है।
जन जन के मन में उत्साह समाया हैं।।
लेना है अधिकार हमें लड़ कर भारत।
प्राईवेट की झूठी छोड़ो माया है।।1।।
हक लेने को एक हमें होना होगा।
बात सही है आज समय फरमाया है।।2।।
चाटुकारी भाषा का मिल त्याग करों।
बिना नमक कब खाना किसको भाया है।।3।।
कौन गुनाह किया हमने ये बोलो तो।
बिना मुकदमा किये जेल भिजवाया है।।4।।
निकलो घर से कुछ पाने की चाह लिये।
बिना मरे क्या स्वर्ग किसी ने पाया है।।5।।
*_नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत'*
छतरपुर मध्यप्रदेश
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