* सावन-लोकगीत *
घन घुमड़त चहुँ ओर,
भलो सावन को महीना रे
झूमत पवन झकोर,
भलो सावन को महीना रे......
1-रिमझिम बरसत मेघ फुहारी।
बिजुरी चमकत गगन मझारी।।
करवे काम किलोर,
भलो सावन को महीना रे....
2-पीहू पीहू करत पपीहरा।
गिरत बूँद जर उठत है जियरा।।
मोर मचावत शोर,
भलो सावन को महीना रे....
3-नव तरू पल्लव डाली-डाली।
झूला डार झूलवत आली।।
हरियाली चहुँ ओर,
भलो सावन को महीना रे...
4-वापी कूप व सर सरितायें।
अरुणारी हो गईं दिशायें।।
शैलेन्द्र सब सराबोर,
भलो सावन को महीना रे....
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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