दोहों के 23 प्रकार
कोई आश्चर्य नहीं बहुतेरों को पता नहीं कि दोहे कितने प्रकार के होते हैं। इस पर विभिन्न मत भी रखते हैं विभिन्न विद्वान। मेरा शुरू से यह मानना रहा है कि दोहे के प्रथम और तृतीय चरण में 212 पदभार तथा दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 पदभार अनिवार्य है। सम्भव है कभी कभार कहीं चूक भी हो गयी हो और अब तक इन्टरनेट पर कहीं पड़ी हुई हो, सो अब यहाँ से उसे अपडेट समझा जाय। तो बात है प्रथम और तृतीय चरण के अंत में 212 पदभार संयोजन की। पिछले समस्या-पूर्ति आयोजनों में से किसी एक में बात यूँ उठ के आई कि दोहा कोई एक प्रकार का थोड़ा होता है, 23 प्रकार के होते हैं और सब में यह सम्भव नहीं हो सकता । दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 वाली बात पर भी विमर्श हुआ है। दोहों के वह 23 प्रकार जिन्हें कुछ नाम दिया जा चुका है [और जिन्हें मैं जानता हूँ 🙂 ], पर मैं ने एक छोटा सा प्रयास किया है, अपनी मान्यता को वरीयता देते हुये; तथा यह प्रयास आप सभी विद्वत-समुदाय के समक्ष मूल्यांकन हेतु प्रस्तुत है। यदि इस प्रयास में कहीं भूल रह गई हों, तो उन के सुधार हेतु ध्यानाकर्षण करने की कृपा करें।
दोहों के 23 प्रकार को ले कर जो एक बहुत ही बड़ा हौआ हमारे सामने अक्सर खड़ा होता रहा है, उस के भय को तनिक कम करने के उद्देश्य से मैंने तीन दोहों को एकाधिक बार किंचित बदल कर प्रस्तुत करने का प्रयास भी किया है। तो यह प्रयास पेश है आप सब की ख़िदमत में…………
1
भ्रमर दोहा
22 गुरु और 4 लघु वर्ण
भूले भी भूलूँ नहीं, अम्मा की वो बात।
दीवाली देती हमें, मस्ती की सौगात।।
22 2 22 12 22 2 2 21
222 22 12 22 2 221
2
सुभ्रमर दोहा
21 गुरु और 6 लघु वर्ण
रम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात।
दीवाली देती हमें, मस्ती की सौगात।।
22 2 11 2 12 22 2 2 21
222 22 12 22 2 221
3
शरभ दोहा
20 गुरु और 8 लघु वर्ण
रम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात।
जी में हो आनन्द तो, दीवाली दिन-रात।।
22 2 11 2 12 22 2 2 21
2 2 2 221 2 222 11 21
4
श्येन दोहा
19 गुरु और 10 लघु वर्ण
रम्मा को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात।
जी में रहे उमंग तो, दीवाली दिन-रात।।
22 2 11 2 12 22 2 2 21
2 2 12 121 2 222 11 21
5
मण्डूक दोहा
18 गुरु और 12 लघु वर्ण
जिन के तलुवों ने कभी, छुई न गीली घास।
वो क्या समझेंगे भला, माटी की सौंधास।।
11 2 112 2 12 12 1 22 21
2 2 1122 12 22 2 221
6
मर्कट दोहा
17 गुरु और 14 लघु वर्ण
बुधिया को सुधि आ गयी, अम्मा की वो बात।
दिल में रहे उमंग तो, दीवाली दिन-रात।।
112 2 11 2 12 22 2 2 21
11 2 12 121 2 222 11 21
7
करभ दोहा
16 गुरु और 16 लघु वर्ण
झरनों से जब जा मिला, शीतल मन्द समीर।
कहीं लुटाईं मस्तियाँ, कहीं बढ़ाईं पीर।।
112 2 11 2 12 211 21 121
12 122 212 12 122 21
8
नर दोहा
15 गुरु और 18 लघु वर्ण
द्वै पस्से भर चून अरु, बस चुल्लू भर आब।
फिर भी आटा गुंथ गया!!!!! पूछे कौन हिसाब?????
2 22 11 21 11 11 22 11 21
11 2 22 11 12 22 21 121
9
हंस दोहा
14 गुरु और 20 लघु वर्ण
अपनी मरज़ी से भला, कब होवे बरसात?
नाहक उस से बोल दी, अपने दिल की बात।।
112 112 2 12 11 22 1121
211 11 2 21 2 112 11 2 21
10
गयंद दोहा
13 गुरु और 22 लघु वर्ण
चायनीज़ बनते नहीं, चायनीज़ जब खाएँ।
फिर इंगलिश के मोह में, क्यूँ फ़िरंग बन जाएँ।।
2121 112 12 2121 11 21
11 1111 2 21 2 2 121 11 21
11
पयोधर दोहा
12 गुरु और 24 लघु वर्ण
हर दम ही चिपके रहो, लेपटोप के संग।
फिर ना कहना जब सजन, दिल पे चलें भुजंग।।
11 11 2 112 12 2121 2 21
11 2 112 11 111 11 2 12 121
12
बल दोहा
11 गुरु और 26 लघु वर्ण
सजल दृगों से कह रहा, विकल हृदय का ताप।
मैं जल-जल कर त्रस्त हूँ, बरस रहे हैं आप।।
111 12 2 11 12 111 111 2 21
2 11 11 11 21 2 111 12 2 21
13
पान दोहा
10 गुरु और 28 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार
शुचिकर सरस सुहावना दीपों का त्यौहार
11 211 1111 111 1111 11221
1111 111 1212 22 2 221
14
त्रिकल दोहा
9 गुरु और 30 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार
शुचिकर सरस सुहावना दीपावलि त्यौहार
11 211 1111 111 1111 11221
1111 111 1212 2211 221
15
कच्छप कोहा
8 गुरु और 32 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार
शुचिकर सरस सुहावना दीप अवलि त्यौहार
11 211 1111 111 1111 11221
1111 111 1212 21 111 221
16
मच्छ दोहा
7 गुरु और 34 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार
शुचिकर सुख वर्धक सरस, दीप अवलि त्यौहार
11 211 1111 111 1111 11221
1111 11211 111 21 111 221
17
शार्दूल दोहा
6 गुरु र 36 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अपरम्पार
शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
11 211 1111 111 1111 11221
1111 111 111 111 21 111 221
18
अहिवर दोहा
5 गुरु और 38 लघु वर्ण
अति उत्तम अनुपम अमित अविचल अगम अपार
शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
11 211 1111 111 1111 111 121
1111 111 111 111 21 111 221
19
व्याल दोहा
4 गुरु और 40 लघु वर्ण
अचल, अटल, अनुपम, अमित, अजगुत, अगम, अपार
शुचिकर सुखद सुफल सरस दीप अवलि त्यौहार
111 111 1111 111 1111 111 121
1111 111 111 111 21 111 221
20
विडाल दोहा
3 गुरु और 42 लघु वर्ण
अचल, अटल, अनुपम, अमित, अजगुत, अगम, अपार
शुचिकर सुखद सुफल सरस दियनि-अवलि त्यौहार
111 111 1111 111 1111 111 121
1111 111 111 111 111 111 221
21
उदर दोहा
1 गुरु और 46 लघु वर्ण
डग मग महिं डगमग करत, मन बिसरत निज करम
तन तरसत, झुरसत हृदय, यही बिरह कर मरम
11 11 11 1111 111 11 1111 11 111
11 1111 1111 111 12 111 11 111
पहले और तीसरे चरण के अंत में 212 प्रावधान का सम्मान रखा गया है तथा दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 पदभार वाले शब्दों के अपभ्रश स्वरूप को लिया गया है
22
श्वान दोहा
2 गुरु और 44 लघु वर्ण
डग मग महिं डगमग करत, परत चुनर पर दाग
तबहि सुं प्रति पल छिन मनुज, सहत रहत विरहाग
11 11 11 1111 111 111 111 11 21
111 1 11 11 11 111 111 111 1121
23
सर्प दोहा
सिर्फ़ 48 लघु वर्ण
डग मग महिं डगमग करत, मन बिसरत निज करम
तन तरसत, झुरसत हृदय, इतिक बिरह कर मरम
11 11 11 1111 111 11 1111 11 111
11 1111 1111 111 111 111 11 111
पहले और तीसरे चरण के अंत में 212 प्रावधान का सम्मान रखा गया है तथा दूसरे और चौथे चरण के अंत में 21 पदभार वाले शब्दों के अपभ्रश स्वरूप को लिया गया है|
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
Thursday, August 29, 2019
दोहे के नियम
Sunday, August 25, 2019
शयन के नियम
*शयन के नियम :-*
1. *सूने तथा निर्जन* घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। *देव मन्दिर* और *श्मशान* में भी नहीं सोना चाहिए। *(मनुस्मृति)*
2. किसी सोए हुए मनुष्य को *अचानक* नहीं जगाना चाहिए। *(विष्णुस्मृति)*
3. *विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल*, यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों, तो *इन्हें जगा* देना चाहिए। *(चाणक्यनीति)*
4. स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु *ब्रह्ममुहुर्त* में उठना चाहिए। *(देवीभागवत)* बिल्कुल *अँधेरे* कमरे में नहीं सोना चाहिए। *(पद्मपुराण)*
5. *भीगे* पैर नहीं सोना चाहिए। *सूखे पैर* सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। *(अत्रिस्मृति)* टूटी खाट पर तथा *जूठे मुँह* सोना वर्जित है। *(महाभारत)*
6. *"नग्न होकर/निर्वस्त्र"* नहीं सोना चाहिए। *(गौतम धर्म सूत्र)*
7. पूर्व की ओर सिर करके सोने से *विद्या*, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से *प्रबल चिन्ता*, उत्तर की ओर सिर करके सोने से *हानि व मृत्यु* तथा दक्षिण की ओर सिर करके सोने से *धन व आयु* की प्राप्ति होती है। *(आचारमय़ूख)*
8. दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। परन्तु *ज्येष्ठ मास* में दोपहर के समय 1 मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है। (दिन में सोने से रोग घेरते हैं तथा आयु का क्षरण होता है)
9. दिन में तथा *सूर्योदय एवं सूर्यास्त* के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है। *(ब्रह्मवैवर्तपुराण)*
10. सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद ही *शयन* करना चाहिए।
11. बायीं करवट सोना *स्वास्थ्य* के लिये हितकर है।
12. दक्षिण दिशा में *पाँव करके कभी नहीं सोना चाहिए। यम और दुष्ट देवों* का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। *मस्तिष्क* में रक्त का संचार कम को जाता है, स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है।
13. हृदय पर हाथ रखकर, छत के *पाट या बीम* के नीचे और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।
14. शय्या पर बैठकर *खाना-पीना* अशुभ है।
15. सोते सोते *पढ़ना* नहीं चाहिए। *(ऐसा करने से नेत्र ज्योति घटती है )*
16. ललाट पर *तिलक* लगाकर सोना *अशुभ* है। इसलिये सोते समय तिलक हटा दें।
*इन १६ नियमों का अनुकरण करने वाला यशस्वी, निरोग और दीर्घायु हो जाता है।*
नोट :- यह सन्देश जन जन तक पहुँचाने का प्रयास करें। ताकि सभी लाभान्वित हों
*॥जय श्रीराम॥*
Friday, August 23, 2019
आ० हीरा लाल यादव जी
*ग़ज़ल*
2122 1212 22
जान देने से गर डरे कोई।
प्यार की राह मत चले कोई।
बनना काजल हमें गँवारा है
अपनी आँखों में गर मले कोई।
हो रहेंगे उसी के हम बन के
प्यार से हाथ तो धरे कोई।
काश आ कर उदास जीवन में
मेरे दुख दर्द को हरे कोई।
हमसफ़र ख़ुद को कह रहा है तो
जा रहा क्यों परे परे कोई।
ख्वाहिशें सब की हों अगर पूरी
क्यों किसी से भला जले कोई।
है दुखी हर कोई ज़माने में
किसकी ख़ातिर दुआ करे कोई।
नफ़रतें भी कुबूल हैं *हीरा*
प्यार के नाम मत छले कोई।
हीरालाल
Thursday, August 22, 2019
गीत तर्ज किसी का घर द्वार आ० गोविंद सिंह
. *गीत सुहाने*
विषय:- *चाँदनी*
तर्ज:- *किसी का घर द्वार छूटे....*
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
रुप मनोहर चाँदी जैसा,
सोने जैसे बाल।।
औंठ गुलावी झील सी आँखे,
गोरे गोरे गाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी...*
*चाँदनी हो तुम मेरी.....*
*(१)*
नाक नथुनिया सोहे,
बूँदा करे उजाला।।
कानन कुण्डल सोहे,
गले मोतिन की माला।।
लचकत,मटकत,इठलाती सी,
हिरनी जैसी चाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*(२)*
बाजू बंध बाहों में,
कंगना जड़ी कलाई।।
कम्मर में करधौना,
पायल मधुर बजाई।।
संगमरमर से रुप के ऊपर,
तिल भी बड़े कमाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी...*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*(३)*
गोटादार चुनरिया,
मोती जड़ी किनारी।।
जिस रस्ते से निकले,
खिल जायें फुलवारी।।
स्वप्न सुन्दरी *शिव* के दिल को,
कर गई मालामाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
-------------------------------------------
🌹 *शिव गोविन्द सिंह*🌹
मात्रा गणना
मात्राभार गणना ( विस्तृत )
*********************
मात्रा आधारित छंदमय रचनायें लिखने के लिए मात्रा या मात्राभार की गणना का ज्ञान होना अति आवश्यक है ,,,,आओ इस ज्ञान- विज्ञान को जाने —
नोट —-१ मात्रा या मात्राभार को = लघु ,,,,(इसके उच्चारण में / बोलने में ,कम /अल्प समय लगता है)
२ मात्रा या मात्राभार को = गुरु कहते हैं ,, ,(इसके उच्चारण में / बोलने में ,अपेक्षाकृत ज्यादा/अधिक समय लगता है)
**(१)*** हिंदी में ह्रस्व स्वरों (अ, इ, उ, ऋ) की मात्रा १ होती है जिसे हम लघु कहते हैं
**(२)*** हिंदी में दीर्घ स्वरों (आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ,अं, ) का मात्राभार २ होता है ,, जिसे हम गुरु कहते हैं.
**(३)*** हिंदी में प्रत्येक व्यंजन की मात्रा १ होती है,,,, जो नीचे दर्शाये गए हैं — –
*** क,ख,ग,घ , *** च,छ,ज,झ,ञ ,
*** ट,ठ,ड,ढ,ण , *** त,थ,द,ध,न ,
*** प,फ,ब,भ,म , ***य,र,ल,व,श,ष,स,ह
जैसे—- अब=११, कल=११,, करतल =११११ ,,पवन १११ ,,मन =११ ,,चमचम=११११ ,,जल =११,,हलचल ११११,,दर =११,,कसक=१११,,दमकल =११११ ,,छनक =१११ ,दमक =१११ ,उलझन =११११ ,, बड़बड़ =११११,, गमन=१११ , नरक=१११ ,, सड़क=१११
**(४)*** किसी भी व्यंजन में इ , उ ,ऋ की मात्रा लगाने पर उसका मात्राभार नहीं बदलता अर्थात १ (लघु) ही रहता है-
दिन =१ १,निशि=११,,जिस=११, मिल=११, किस =११ , हिल =१११, लिलि =११,नहि =११,,महि =११ कुल=११, खुल=११, मुकुल =१११, मधु =११, मधुरिम =११११ , कृत =११, तृण =११, मृग=११,, पितृ=११,, अमृत=१११,, टुनटुन= ११११ ,, कुमकुम =११११ , तुनक =१११, चुनर =१११ ,ऋषि =११ ,, ऋतु =११,, ऋतिक =१११
**(५)*** किसी भी व्यंजन में दीर्घ स्वर (आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ ,अं,) की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार (दीर्ध=गुरु ) अर्थात २ हो जाता है.–
हारा=२२ ,,पारा=२२,, करारा =१२२,,चौपाया =२२२ ,,गोला =२२,,शोला=२२,,पाया =२२,,, जाय २१,,, माता =२२,,, पिता=१२,,, सीता= २२,, गई (गयी )=१२,, पीला =२२,,गए (गये )=१२, लाए (लाये) =२२, खाओ =२२, ओम =२१, और =२१,, ओकात =औकात =२२१,, अंकित २११, संचय =२११,पंपा ==२२,,मूली=२२,,शूली =२२,, पंप (पम्प ) =२१, अंग =२१ ,,ढंग =२१,, संचित =२११,, रंग=२१ ,, अंक=२१ , रंगीन =२२१, कंचन=२११ ,घंटा=२२ , पतंगा=१२२, दंभ (दम्भ )=२१, पंच (पञ्च )=२१, खंड (खण्ड )=२१,सिंह =२ १ ,,,सिंधु =२ १ ,,,बिंदु =२ १ ,,,, पुंज =२ १ ,,, हिंडोला =२ २ २,,कंकड़ =२११,,टंकण =२११ ,,सिंघाड़ा =२२२ ,लिंकन =२११ ,,लंका २२ ,
**(६)*** गुरु वर्ण (दीर्घ) पर अनुस्वार लगने से उसके मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,
जैसे – नहीं=१२ ,सीँच =२१, भींच=२१ , हैं =२,छींक=२१ ,दें =२, हीँग =२१, हमेँ =१२ , सांप =२१
**(८ )***शब्द के प्रारम्भ में संयुक्ताक्षर का मात्राभार १ (लघु) होता है , जैसे – स्वर=११ , ज्वर =११,प्रभा=१२
श्रम=११ , च्यवन=१११, प्लेट= २१, भ्रम =११, क्रम ११, श्वसन =१११, न्याय =२१,
**(९ )*** संयुक्ताक्षर में ह्रस्व (इ ,उ ,ऋ ) की मात्रा लगने से उसका मात्राभार १ (लघु) ही रहता है ,
जैसे – प्रिया=१२ , क्रिया=१२ , द्रुम=११ ,च्युत=११, श्रुति=११, क्लिक =१ १, क्षितिज =१११, त्रिया =१२ ,
**(१० )*** संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,(अर्थात कोई शब्द यदि अर्द्ध वर्ण से शुरू होता है तो अर्द्ध वर्ण का मात्राभार ० (नगण्य ) हो जाता है )–
जैसे – भ्राता=२२ , ज्ञान (ग्यान )=२१, श्याम=२१ , स्नेह=२१ ,स्त्री=२ , स्थान=२१ ,श्री=२,
**(११ )*** संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,(अर्थात किसी शब्द के बीच में अर्द्ध वर्ण आने पर वह पूर्ववर्ती / पहलेवाले वर्ण के मात्राभार को दीर्घ/गुरु कर देता है )—
जैसे – अक्कड =२११,,बक्कड़=२११,,नम्र =(न म् र) =२१ , विद्या (वि द् या )=२२, चक्षु (चक्शु ) =२१,सत्य=२१ , वृक्ष (वृक्श) =२१,यत्र (यत् र )=२१, विख्यात=२२१,पर्ण=(प र् ण ) २१, गर्भ=(गर् भ) २१, कर्म =क (क र् म) २१, मल्ल =२१, दर्पण =२११, अर्चना २१२,, विनम्र (वि न म् र) =१२१,,अध्यक्ष (अध्यक्श)=२२१
**(१२ )*** संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरु / वर्ण के मात्राभार में कोई अन्तर नहीं आता है–
जैसे -प्राप्तांक =२२१ ,,प्राप्त =२१, हास्य=२१ , वाष्प =२१ ,आत्मा=२२ , सौम्या=२२ , शाश्वत=२११ , भास्कर=२११.भास्कराचार्य ,,२१२२१ ,,उपाध्यक्ष (उपाध्यक्श)=१२२१
**(१३ )*** अर्द्ध वर्ण के बाद का अक्षर ‘ह’ गुरु (दीर्घ मात्रा धारक) होता है तो ,,,अर्द्ध वर्ण भारहीन हो जाता है जैसे —
*********************************************************
तुम्हें=१२ , तुम्हारा=१२२, तुम्हारी=१२२, तुम्हारे=१२२, जिन्हें=१२, जिन्होंने=१२२, किन्होनें=१२२,,उन्होंने =१२२,,कुम्हार=१२१,, कन्हैया=१२२ ,, मल्हार=१२१ ,,कुल्हा =१२,,कुल्हाड़ी=१२२ ,तन्हा =१२ ,सुन्हेरा =१२२, दुल्हा ==१२,,अल्हेला =१२२ ,
**(1४ )*** किन्तु अर्द्ध वर्ण के बाद का अक्षर ‘ह’ लघु होने पर मात्राभार वही रहता है जैसे —-
*************************************************************
अल्हड़ =२११,,कुल्हड़=२११ ,,चुल्हड़ =२११ ,,दुल्हन =दुल्हिन २११,, कुल्हिया =२१२ , कल्ह २१,,तिन्ह =२१
संकलनकर्ता–
******सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
Wednesday, August 21, 2019
मुख्यमंत्री
प्रति,
माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी
मध्यप्रदेश सरकार भोपाल
विषय-कांग्रेस सरकार के घोषणा पत्र में शामिल नर्सिंग के मुद्दों को पूरा करवाने व अन्य समस्याओं का निराकरण चाहने बावत।
द्वारा-कलेक्टर महोदय जी
जिला हरदा मध्यप्रदेश
महोदय जी,
नर्सिंग छात्र संगठन आवेदन के माध्यम से आपको अवगत कराना चाहता है कि विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नर्सिंग के मुद्दों को शामिल किया था लेकिन उन पर अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। संगठन द्वारा लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है लेकिन संगठन की मांगों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। जबकि कांग्रेस सरकार के घोषणा पत्र में स्पष्ट लिखा हुआ है कि प्रदेश के मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजो व नर्सिंग स्कूलों के अभ्यर्थियों के लिए सरकारी नौकरी की पात्रता सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से भी आपको अवगत कराकर आपसे जल्द निराकरण की आशा करते हैं। संगठन की मांगें निम्न हैं।
1)स्वास्थ्य विभाग व चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सरकारी अस्पतालों में मेल नर्स की सरकारी भर्तियाँ निकाली जाए और मेल नर्स का कोटा कम से कम 40% रखा जाये।
2) आर्ट्स,मेथ्स आदि से नर्सिंग करने वालों को भी सरकारी भर्तियों में शामिल किया जाए।
3)सरकारी व प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजो के अभ्यर्थियों के लिए सरकारी नौकरियों में एक समान नियम बनाये जाए। और भर्तियाँ लिखित परीक्षा से ली जाए।
4) नियम विरुद्ध संचालित होने के कारण मान्यता प्राप्त ना होने के बावजूद भी विद्यार्थियों के एडमिशन लेने वाले नर्सिंग कॉलेजो व स्कूलों पर एफआईआर दर्ज की जाए और विद्यार्थियों की फीस वापस की जाए।
4) माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश व केंद्र सरकार के निर्देशानुसार प्राइवेट हॉस्पिटलों में नर्सिंग स्टाफ का वेतनमान कम से कम 20 हजार किया जाए।
5)मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर मध्यप्रदेश में मान्यता प्राप्त सीटो से अधिक विद्यार्थियों के फर्जी एनरोलमेंट करने वाले कॉलेजो के खिलाफ कार्यवाही ना करने वाले अधिकारियों तथा भ्रष्टाचार करने वालो पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
6)मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में डिप्टी रजिस्ट्रार जैसे सभी पदों पर नियुक्तियां की जाए और अन्य स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए और ठेके पर नियुक्तियां बंद की जाए और सभी पदों पर स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति की ही जाए। डेपुटेशन पर नियुक्ति नही हो। जिससे यूनिवर्सिटी में परीक्षा, परिणाम का कार्य जल्द से जल्द पूरे हो और लेट चल रहे सत्र समय पर पूरे हो और विद्यार्थियों का समय बर्बाद न हो।
नर्सिंग छात्र संगठन द्वारा कई कई बार संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों को आवेदन देने के बाद भी कार्यवाही नही की जा रही है इसलिए मजबूरन संगठन को ज्ञापन,धरना प्रदर्शन, आंदोलन, भूख हड़ताल की जा रही है। एक बार इसकी शुरुआत फिर से ग्वालियर से की गई है। 4 दिन से धरना दिया जा रहा है लेकिन सुनवाई नही होने के कारण मजबूरन आज से भूख हड़ताल पर बैठना पड़ गया। अगर जल्द ही संगठन की मांगों पर सुनवाई नही की गई तो संगठन द्वारा प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा और भोपाल में धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल की जाएगी। इस दौरान कोई भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी सरकार की होगी। इसलिए आपसे आग्रह है कि जल्द से जल्द घोषणा पत्र के वायदों को पूरा किया जाए साथ ही अन्य समस्याओं का निराकरण किया जाए। आपसे आशा है कि संगठन की मांगों का जल्द निराकरण करेंगे।
स्थान-हरदा
दिनाँक-21-8-2019
भवदीय
प्रवीण राजपूत
प्रदेश अध्यक्ष
नर्सिंग छात्र संगठन
मोबाइल नंबर-09039
प्रतिलिपि,
1)चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय जी मध्यप्रदेश
2)लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय जी मध्यप्रदेश
3)मुख्य सचिव महोदय जी मध्यप्रदेश शासन
4)प्रमुख सचिव महोदय जी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन
5)प्रमुख सचिव महोदय जी चिकित्सा शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन
6)चिकित्सा शिक्षा आयुक्त महोदय जी मध्यप्रदेश शासन
7)स्वास्थ्य आयुक्त महोदय जी मध्यप्रदेश शासन
8)संचालक महोदय जी स्वास्थ्य विभाग मध्यप्रदेश शासन
9)संचालक महोदय जी चिकित्सा शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन
Tuesday, August 20, 2019
*Hindi very important short revision*
*Hindi very important short revision*
संज्ञा के भेद - 5
रचना के आधार पर संज्ञा के भेद - 3
संधि के भेद - 3
स्वर संधि के भेद - 5
समास के भेद - 6
तत्पुरुष समास के भेद - 6
कारक के प्रकार - 8
वचन कितने प्रकार के है - 2
लिंग के प्रकार - 2
काल के भेद - 3
विशेषण के भेद - 4
सर्वनाम के भेद - 6
क्रिया विशेषण के भेद - 4
क्रिया के प्रकार - 2
छंद के प्रकार - 2
अलंकार के प्रकार - 3
रस कितने प्रकार के होते है - 9
शब्द शक्ति के प्रकार - 3
वाक्य के घटक होते है - 2
वर्णों की संख्या - 52
व्यंजन वर्णों की संख्या - 33
संचारीभाव की संख्या - 33
सात्विक भाव की संख्या - 8
विभाव के भेद - 2
काव्य के भेद - 2
वेद कितने है - 4
वेदांग कितने है - 6
पुराण कितने है - 18
बौद्धों के धर्म-ग्रन्थ - 3
संगीत-स्वर के भेद - 3
नायिका के भेद - 3
नायक के भेद - 4
श्रृंगार के भेद - 2
हास्य के भेद - 6
वीर-रस के भेद - 3
काव्य के गुण - 3
विद्याएँ -18
विवाह प्रकार - 8
माताएँ - 7
रत्न के प्रकार - 9
राशियाँ - 12
दिन-रात के पहर - 8
वायु के प्रकार - 5
अग्नियाँ - 3
गुण के प्रकार - 3
शारीरिक दोष - 3
लोक - 3
ऋण के प्रकार - 3
ताप - 3
युग - 4
पुरुषार्थ - 4
वर्ण - 4
दंड के प्रकार - 4
शत्रु - 6
संहिताएँ - 4
भारतीय व्यक्ति-जीवन के संस्कार - 16
ईश्वर के रूप - 2(सगुण, निर्गुण)
भाषा के प्रकार - 2
मूल स्वर के भेद - 3
व्यंजनों के प्रकार - 3
स्पर्श व्यंजन होते है - 25
उष्म व्यंजन होते है - 4
संयुक्त व्यंजन - 4
वर्णों की मात्राएँ होती है - 10
कंठ्य वर्णों की संख्या - 9
तालव्य वर्णों की संख्या - 9
प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद - 2
विकारी शब्द के प्रकार - 4
अविकारी शब्द के प्रकार - 4
उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद - 4
व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से शब्द भेद - 3
वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर - 8
वाक्य के भेद- रचना के आधार पर - 3
विधेय के भाग - 6
सर्वनाम की संख्या - 11
प्रत्यय के भेद - 2
रस के अंग - 4
अनुभाव के भेद - 4
स्थायी भाव के प्रकार - 9
श्रृंगार रस के प्रकार - 2
नाटक में रस - 8
भरत मुनि ने रसों की संख्या माना है - 8
लक्षणा की शर्ते - 3
वाच्य के भेद - 3
विश्व में हिंदी का स्थान - 3
प्रबंध काव्य के भेद होते हैं - 2
शैली के अनुसार काव्य के भेद - 2
मम्मट ने काव्य गुण बताए - 3
मम्मट ने काव्य दोष बताए है - 70
काव्य में पद दोष कितने है -16
वाक्य दोष होते है -21
उत्प्रेक्षा अलंकार के भेद - 3
रूपक अलंकार के भेद है - 3
उपमा अलंकार के भेद है - 3
उपमा अलंकार के अंग है - 4
स्वर कितने है - 11
वर्ण कितने प्रकार के होते हैं - 2
संस्कृत के उपसर्ग है - 22
हिन्दी के उपसर्ग - 13
उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग - 19
कृत् प्रत्यय की संख्या - 28
प्रत्यय के भेद हैं - 2
संविधान द्वारा मान्यताप्राप्त प्रादेशिक भाषाएँ - 22
संयुक्त स्वर है - 4
ह्स्व स्वर है - 4
दीर्घ स्वर है - 7
आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने भेद हैे - 6
क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं - 27
आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है - 3
पंडित राज जगन्नाथ ने काव्य के कितने भेद किए हैं - 4
36
भोज ने रसों का विवेचन किया है - 12
आलंबन विभाव के कितने भेद हैं - 2
सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है - 8
भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है - 4
दण्डी ने काव्य गुणों की संख्या कितनी मानी है - 10
आचार्य भोज ने अनुसार काव्य गुणों की संख्या है - 24
वामन ने गुणों की संख्या मानी है - 20
मम्मट,भामह तथा आनंद वर्धन ने काव्य गुणों को माना है - 3
भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य वृत्तियां मानी ग मानी गई है - 3
भरत के नाट्यशास्त्र में भावों की संख्या गिनाई है - 49
भरत मुनि ने कितने दोष - 20
भरत मुनि ने कितने गुण - 10
वलाघात कितने है - 3
सघोष संख्या - 20
अघोष संख्या - 13
महाप्राण संख्या - 14
अल्प्राण संख्या - 19
प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।
दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...
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'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन। छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...
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मात्रा गिराने का नियम- वस्तुतः "मात्रा गिराने का नियम" कहना गलत है क्योकि मात्रा को गिराना अरूज़ शास्त्र में "नियम" के अं...
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कक्का जू साहब कुंवर शिवभूषण सिंह गौतम जी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। आपकी साहित्यिक यात्रा 50 वर्षों से भी अधिक का सफर हो चुका है और ...