शम्भू लाल जालान *निराला*
*ग़ज़ल*
उदास होता है यह दिल तुम्हारे जाने से
चले भी आया करो रोज़ ही बहाने से।
मिला है दर्द ही इतना मुझे ज़माने से
कलेजा कांप सा जाता है मुस्कुराने से।
समझ के बूझ के होता नहीं है प्यार कभी
ये बात देखिए साबित है इस फंसाने से।
मैं रोज़-रोज़ तिरे पास यूं भी आता हूं
सूकून मिलता है तेरे साथ पल बिताने से।
हमारे घाव ये सारे गवाही देते हैं
कभी भी चूके नहीं वो किसी निशाने से।
नहीं किसी से कभी मेरी दुश्मनी ठहरी
सभी के साथ ही मिलता हूं दोस्ताने से।
ये बात ख़ूब समझती है *निराला* दुनिया
किसी के आगे रहे हम तो सर झुकाने से।
🌹🌹🌹 निराला 🌹🌹🌹
No comments:
Post a Comment