विषय--विदाई
वो जान हमारी है, वो शान हमारी है
आंगन में जब डोले,नन्ही परी प्यारी है।।
1--पतझड़ में भी महके
वो पुष्प की एक पंखी
वीणा के तार वही
वो मोहन की वंशी
वो गीत गज़ल मेरी, छंदों से न्यारी है।।
आंगन में जब......
2--बचपन के दिन बीते
अब नई कहानी है
वो नन्ही परी मेरी
अब भई सयानी है
ममता बेबस है मेरी, डोली की तैयारी है।।
आंगन में जब.....
3--है द्रवित हृदय मेरा
कम्पित स्वरलहरी है
स्वांसों की विदाई है
सच्चाई गहरी है
दम घुटा लगे जैसे, गई ज्योति हमारी है।।
आंगन में जब डोले....
।।।ममता वाणीं।।।
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