गीत
मापनी - 2122 , 1212 , 22
बेटी क्यो जन्म से पराई है ।
क्या वो बेटो सी नही जाई है ।।
बेटियाँ हर जगह हुई शामिल ।
वो भी बेटो सी बनी हैं काबिल ।।
फिर क्यो बेटी की ही *विदाई* है ।
*बेटी क्यो जन्म.................*
प्यार करती है बेटियाँ सच्चा ।
उन्हे बाबुल लगे सबसे अच्छा ।।
प्यार का नाम ही जुदाई है ।
*बेटी क्यो जन्म.................*
बेटी का रूप माँ, बहन , पत्नी ।
छोड़ती ही रही पहचान अपनी ।।
पीर सबने ही तो बढ़ाई है ।
*बेटी क्यो जन्म..................*
बेटी को हक मिले बेंटो जैसा ।
बेटी से घर खिले बेटो जैसा ।।
बेटी ने सृष्टि ये चलाई है ।
*बेटी क्यो जन्म.................*
बेटियो का जो हक नही मिलता ।
फिर भी पुरुषों को सब सही लगता ।।
आज *साथी* करे दुहाई है ।
*बेटी क्यो जन्म..................*
🌻🌻🌻🌻523🌻🌻🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
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