Tuesday, February 11, 2020

*◆लयग्राही छंद◆* सोम जी


*◆लयग्राही छंद◆*
विधान-
तगण तगण तगण गुरु गुरु
(221  221  221 2   2)
4चरण,दो-दो चरण समतुकांत।

हे  रामराजा  मुझे  तार   दीजै।
मैं दास हूँ नाथ स्वीकार कीजै।।
सत्कार  सेवा नहीं  जानता हूँ।
सर्वस्य आपै  सदा  मानता हूँ।।

                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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