Saturday, May 2, 2020

कुंडलिया छंद:- डॉ शेषपालसिंह 'शेष'

🍎🌳   कुंडलिया छंद  🌳🍎
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  दौड़ - लेखनी  तीव्र  है, लिखे  सार - भंडार।
  शिक्षित-जन रखते कलम,लिखने को तैयार।
  लिखने को  तैयार, मनीषी  झट लिख लेता।
  करता   नूतन  खोज, आदमी  ग्रंथ  सृजेता।
  हो जाती लिपिबद्ध, यथावत् करनी-कथनी।
  अंकित होते तथ्य,अजब  है  दौड़ - लेखनी।

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  स्याही, कलम, दवात  ने, रचकर  वेद-पुराण।
  ज्ञान-सिंधु,विज्ञान लिख,किया विश्वकल्याण।
  किया विश्व कल्याण, दिमागी  शक्ति बढ़ायी।
  लिखा चिकित्साशास्त्र,राह आरोग्य दिखायी।
  ऋषि - विज्ञों  के  शोध, हमें  करते  उत्साही।
  सदा लेखनी सफल, काम  आयी  है  स्याही।

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  कूची,कागज, लेखनी, शिक्षा का आधार।
  तख्ती, खड़िया, रंग से, भरा  रहा  संसार।
  भरा रहा संसार, पठन  कीमती  कला  है।
  संविधान-विज्ञान,कलम से  न्याय चला है।
  कलमकार हैं धन्य, ज्ञान  की बनती सूची।
  अत्यावश्क साध्य, लेखनी, कागज,कूची।

                      ●●>><<●●

    ● डॉ शेषपालसिंह 'शेष'
      'वाग्धाम'- 11डी/ई-36डी,
      बालाजीनगर कालोनी, 
      टुण्डला रोड,आगरा-282006
      मोबाइल नं0 -- 9411839862

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