Friday, May 11, 2018

गज़ल





गजल
वज्न:- 122 122 122 122
काफिया:- आ
रदीफ:-नही है

हमारे हृदय का किनारा नही है।
किसी की नजर का इशारा नही है।।

1. दिखी जो जहाँ में,पङा आज पीछे।
जमाना दिखाये नजारा नही है।।

2. करूं बात सारी नदी की लहर सें।
बहाये सभी को गवारा नही है।।

3. भले रूठ जाये हमारी मुहब्बत।
जमी पर मिले वो सितारा नही है।।

4. चले चाल सीधी मिले अजनबी भी।
खुमारी चढ़ी पर पुकारा नही है।।

5. कहो आज मन से जहाँ में जहा पर।
कहूँगा सदा नेक *भारत* नही हैं।।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725


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