नर्सिंग का अभ्यर्थी हू में,
बात कहूंगा तन मन की।
सेवा करता रहता निशदिन
औकात सहूगा जन जन की।।
सुबह से शाम, शाम सें रात,
रात से सुबह आ जाती हैं।
अन्ना का दाना पेट ना खाऊ,
पेसेंट की चिंता सताती हैं।।
उसकी पीड़ा कैसे देखूँ,
रोता सदा बिलखता हैं।
बिन आगी के जलन जो होती,
धीरे धीरे सुलगता हैं।।
डॉक्टर ने जो कहा हमी सें,
बात वही बतलाता हू।
जो मिल जाती रूखी सूखी,
पेसेंट को रोज खिलाता हू।।
दुआ में करता रहता रब सें,
मेरी जो भी भक्ति हैं।
उसके शरीर की देख कर काया,
भर जाये कुछ शक्ति हैं।।
अब बिगङी हैं दसा स्वास्थ्य की,
अपने इस संसार की।
हालत सुधारे कुछ अपनी कुछ,
*भारत* के परिवार की।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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