Saturday, May 12, 2018

गज़ल



गज़ल
क़ाफ़िया:- आ
रद़ीफ:- चाहिए।

वज्म:- 212 212 212 212

शब्द बोलो मगर तौलना चाहिए।
तौल करके सदा बोलना चाहिए।।

1. होश आता नहीं शाम होते यहाँ।
जाम पीकर नहीं झूमना चाहिए।।

2. नैन उनके मुझे देखते हैं अभी।
आस करके जिया खोलना चाहिए।।

3. पाक मिट्टी मिली आज हमको यहाँ।
हाथ लेकर इसे चूमना चाहिए।।

4. दोस्ती के सफर में मिली जो दुआ।
साथ उसको लिये पूजना चाहिए।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

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