शिल्प ~ [(मगण भगण सगण)+गुरु]
प्रति चरण 10 वर्ण चार चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
यति प्रायः 4,6 वर्ण पर।
222 211 112 2
सीता माँ के,चरण परूँ मैं।
रामा जी का, वरण करूँ मैं।।
ध्याऊँ गाऊँ, कर कर पूजा।
ऐसा नाहीं, प्रभुवर दूजा।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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