घर में आती लक्ष्मी बनकर,
सारा जीवन तारा हैं।
छल छल बहती निर्मल गंगा,
प्यारी बनकर धारा हैं।।
कन्या रूप में बैष्णो माता,
असुरों का संहार करे।
लक्ष्मी बाई चढ़ घोङे पर,
वीरांगना अवतार धरे।।
इन्द्र गांधी बन प्रधान,
सारा देश चलाया था।
किरण वेदी की देख के किरणे,
राजनेता चकराया था।।
माता,बेटी ,बहु वा बहिने,
ये सब अपनी जन्नत हैं।
इसका आदर सबको करना,
मागों अपनी मन्नत हैं।।
शिवशंकर ने भस्मासुर को,
जब प्यारा वरदान दिया।
तब विष्णु ने नारी रूप सें,
भस्मा का उद्घार किया।।
धर चंण्डी का रूप मनोहर,
दुष्टों को संहारा था।
सबसे पहले भारत माँ ने,
हम पुत्रो को पुकारा था।।
नारी शक्ति का ना कोई,
मोल नही कर सकता हैं।।
नारी सें नर पैदा होते,
तौल नही कर सकता हैं।।
माता कभी ना रूठे हमसें,
कहता अपनी वाणी सें।
भारत बर्ष बना हैं भारत,
बनता सच्चे प्राणी सें।।
महिला का सम्मान जगत में,
यहा सभी के तन मन सें।
*भारत* को यह बात बताना,
अपने जीवन जन जन सें।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
No comments:
Post a Comment