Friday, December 21, 2018

गजल :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "

*---     ग़ज़ल  ____*

बहर:- 1222 1222 122
काफ़िया:- अन।
रद़ीफ:- की कर रहे हैं।

कहाँ चिंता वतन की कर रहे हैं।
सियासत बस जलन की कर रहे हैं।

मसलते फूल ख़ुद बागों के वो ही
हिफाजत जो चमन की कर रहे हैं।।1।।

मिलाते हाथ दुश्मन से यहाँ पर।
इबादत कब अमन की कर रहे हैं ।।2।।

हमारे साथ बैठे जो घरो में।
सियासत वो दमन की कर रहे हैं।।3।।

सदा लूटे खजाने हैं हमारे।
सुरक्षा आज धन की कर रहे हैं।।4।।

जहां में नाम पर फैशन की देखो
नुमाइश सब बदन की कर रहे हैं।।5।।

--- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
    छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
    सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

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