Thursday, April 18, 2019

आ० हीरालाल यादव

*ग़ज़ल*
122 122 122 122

जो माँगें सभी वो दुआ ज़िन्दगी है।
जो चाहें सभी वो मज़ा ज़िन्दगी है।

समझते हो क्योंकर बला ज़िन्दगी है।
बहुत  खूबसूरत  कला  ज़िन्दगी है।

सलीका जिन्हें ज़िन्दगी का न आया
समझते  हैं वो ही बला ज़िन्दगी है।

गँवाओं नहीं मुफ्त में मुझको यूँ हीं
तुम्हें  दे  रही  ये  सदा ज़िन्दगी है।

हटाओ   ग़मों  के  ये  बादल  घनेरे
कि ख़ुशियों का देती पता ज़िन्दगी है।

सुना   है   बुजुर्गों   से   *हीरा*   हमेशा
कि पानी का इक बुलबुला ज़िन्दगी है।

                 हीरालाल

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