122 122 122 122
वो दिल मेरे दिल का बसेरा नहीं है।
पता है मुझे भी वो मेरा नहीं है।
अँधेरा ही महमान है मेरे घर का
मुकद्दर में लिख्खा सवेरा नहीं है।
भरोसा रखा कर ज़माने पे कुछ दिल
बशर हर जहां में लुटेरा नहीं है।
अकेला नहीं दिल परेशाँ तू जग में.
दुखों ने यहाँ किसको घेरा नहीं है।
चले जायेंगे छोड़ महमान हैं सब
सदा के लिये जग ये डेरा नहीं है।
कहीं कुछ कमी है दुआओं में *हीरा*
जो पूरा कोई ख्वाब तेरा नहीं है।
हीरालाल
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