नाम- शैलेन्द्र खरे
साहित्यिक नाम- सोम
पिता-श्री रामदयाल खरे
माता- श्रीमती सुमनलता खरे
जन्मतिथि-14-05-1978
शिक्षा- एम.ए.एम.कॉम.
व्यवसाय- शिक्षक
पता- वीरेंद्र कॉलोनी, नौगाँव,जिला-छतरपुर(म.प्र.)
मोबा. नम्बर-9926307901
विधा- लगभग सभी काव्य विधाएं(विशेष रुचि-छन्द)।
साहित्यिक यात्रा~
बचपन से ही लिखने का शौक रहा,अपनी माँ की प्रेरणा से 1993 से लिखना प्रारम्भ किया,अक्सर मेरी माँ स्कूल की पढ़ाई से पहले पूछती थी कि आज नया क्या लिखा और खुद जांचती थी। उस समय माँ खुद ग़ज़ल, मुक्तक, उपन्यास,गीत,नाटक,कहानी लिखा करती थी।
फिर कीर्तनकार के रूप में जबाबी कीर्तन करने लगा,जिसका मेरे गृह गांव बड़ागाँव के आसपास बहुत प्रचलन था।स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में कुछ मेरी रचनाएँ निकलने लगीं, वर्ष 2000 तक पुराणों की मुख्य कथाओं,सम्वादों को गीत भजनों के रूप में लिख चुका था।धीरे धीरे ये गीत भजन अनेक भगवताचार्यों द्वारा कथा के दौरान गाये जाने लगे जिससे बहुत सम्बल मिला और उत्साहवर्धन हुआ।
फिर स्थानीय गायकों से जुड़ाव होता गया तो बुंदेली बोली में लिखना सार्थक हुआ जो क्रम वर्तमान में जारी है।बीच-बीच सम्मान मिलते रहे और कारवाँ बढ़ता गया।
अभी कुछ वर्ष पूर्व सोशल मीडिया के सम्पर्क में आने के बाद कई अन्य विधाओं की समझ विकसित हुई और उन विधाओं में भी भावों को उतारने का प्रयास किया।छन्दों पर कार्य करना विशेष रुचिकर लगता है मुझे।हालाकिं गीतों,भजनों की भूमिका बनाने के लिए शुरू से ही छन्दों का प्रयोग किया करता था,पर पिछले कुछ वर्षों से छन्दों और ग़ज़लों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जिसका आप सबके स्नेह से सतत क्रम जारी है।
प्रकाशित पुस्तकें-
बुन्देली में कुछ रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं चार चौकड़ियाँ,विवाह गारी, माई शारदा, हरदौल चरित्र।कुछ सांझा संकलन जिसने सम्मिलित रहा हूँ,
छन्दकलश, मेघनाद घनाक्षरी साझा संग्रह,ग़ज़ल एक जिज्ञासा, मेरी साँसे तेरा जीवन,नन्दिनी,नायब सखी संग्रह।
सम्मान-
किसी योग्य नहीं फिर भी आप सबका जो प्यार मिलता है,मेरे लिए किसी भी सम्मान से बढ़कर है।
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