*◆सुमति छंद◆*
विधान-नगण रगण नगण यगण
(111 212 111 122) 12 वर्ण
2, 2 चरण समतुकांत,4 चरण।
नमन शारदे उपकृत कीजे।
विरल ज्ञान दे कृत - कृत कीजे।।
जय सरस्वती जन - जन बोले।
हृदय 'ओम' का सुन मन डोले।।
चरण वंदना अब सुन लीजे।
विनय भक्त की सब सुन लीजे।।
धवल कुंद - पुष्प वरण कीजे।
कमल के समान चरण दीजे।।
अकथ वेद-पुराण रच दिये माँ।
सकल ज्ञान-सार हम लिये माँ।।
जगत है ऋणी-कण-कण बोले।
यह रहस्य ये क्षण-क्षण खोले।।
*©मुकेश शर्मा "ओम"*
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