शम्भू लाल जालान *निराला*
🌹 ग़ज़ल 🌹
जो यादों का तेरी सहारा न होता
किसी तौर अपना गुज़ारा न होता।
न आंखें बरसती न यूं कांपते लब
ज़ुदाई का ग़र वो नज़ारा न होता।
अगर तेरे दामन की हसरत न होती
तो आवाज़ देकर पुकारा न होता।
न चलती कभी नफ़रतों की ये आंधी
जो इसां ने इसां को मारा न होता।
अगर जान जाता तेरी बेवफ़ाई
कभी तुझको दिल में उतारा न होता।
*निराला* समय पर जो तुम चेत जाते
तो धोखा कभी भी दुबारा न होता।
🌹🌹🌹 निराला 🌹🌹🌹
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