*ग़ज़ल*
121 22 121 22
बदी के पथ पर चला न करना।
गुनाह ऐसा किया न करना।
मिला हो धोखा तुम्हें भले ही
मगर किसी से दग़ा न करना।
करो जो करना हो अपने दम पर
किसी का रस्ता तका न करना।
वो होगा लिक्खा नसीब में जो
फिजूल डर में जिया न करना।
लगा लिया है किसी से दिल तो
ग़मों का हर्गिज़ गिला न करना।
किसी भी झूठे गुमाँ में पड़ कर
हवा में हर्गिज़ उड़ा न करना।
निभाना मुश्किल हो जिसका *हीरा*
कभी वो रिश्ता रखा न करना।
हीरालाल
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