Wednesday, February 5, 2020

वंदना :- बृजमोहन साथी जी

*माँ वंदना*

हमें  बस  तुम्हारा  सहारा  है  माँ ।
तुम्ही  ने ये जीवन निखारा है माँ ।।

हमारी  ये  *नैया* नही   डूबती ।
दिये ज्ञान  से  माँ  ये  है तैरती  ।।
तू ही  धार  तू  ही किनारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा................*

मधुर  स्वर  प्रकृति के यूँ माँ  से कहे ।
पवन  ये  बसंती  कहाँ  फिर रहे  ।।
नही तुम बिना कुछ गवारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा.................*

तू   श्वेत   वर्णी  है   कमलासिनी ।
सुरो की है गंगा माँ  पदमासिनी ।।
ये  संसार  तुमने  सवांरा  है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा ................*
दया  की रखो  हम  पे मैहर सदा ।
नही हमको करना माँ खुद से जुदा ।।
नही कोई  तुम बिन हमारा है माँ ।
*हमें बस तुम्हारा.................*

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा

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