◆गीतिका◆
मापनी-- 2122 2122 212
भोर में उठिए गगन को देखिए।
मौसमी शीतल पवन को देखिए।।
उड़ चले अपना बसेरा छोड़कर।
पंछियों की इस लगन को देखिए।।
चूमने धरती की हरियाली बढ़ें।
रश्मियाँ उतरीं वतन को देखिए।।
सूखने पाए नहीं पौधा कोई।
सींचता माली चमन को देखिए।।
गाँव की आभा सुनहरी लग रही।
शांति फैली है अमन को देखिए।।
ओस की बूँदें लगें मोती जहाँ।
नम करें मिट्टी छुअन को देखिए।।
स्वर्ग का सुख आपको मिल जाएगा।
आइये जब गाँव मन को देखिए।।।
आशीष पाण्डेय ज़िद्दी।
◆गीतिका◆
मापनी-- 2122 2122 212
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बेटियों का गान होना चाहिए।।
बाप का अरमान होना चाहिए।।
देश में परदेश में घर में सदा।
प्यार से सम्मान होना चाहिए।।
प्यार बेटों से नहीं कम हो कभी।
बेटी की पहचान होना चाहिए।।
भावना मन में मनुज ऐसी बना।
बेटियों का मान होना चाहिए।।
बेटियाँ कम हैं नहीं मत भूलना।
इनपे भी अभिमान होना चाहिए।।
चाँद भी छूने लगीं हैं बेटियाँ।
इनका भी उत्थान होना चाहिए।।
बेटियाँ जन्में जहाँ घर धन्य हो।
बाप को यह ज्ञान होना चाहिए।।
जन्म पर अंकुश लगाना छोड़ दे।
हे मनुज ईमान होना चाहिए।।
बेटियाँ वरदान हैं भगवान का।
हर किसी को भान होना चाहिए।।
आशीष पाण्डेय ज़िद्दी।
9826278837
14/10/2018
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