🌹गजल🌹
बहर 122 × 4
किया था जो वादा निभाना पड़ेगा।
हमें हिंद अपना बचाना पड़ेगा।
लिखा है दिलों पै तेरा नाम हमने ;
तुझे धड़कनों में बसाना पड़ेगा।
दरिंदो की हैवानियत बढ़ रही है ;
उन्हें सूलियों पर चढ़ाना पड़ेगा।
यहाँ भृष्ट नेता बढे जा रहे हैं ;
उन्हें कुर्सियों से गिराना पड़ेगा।
करें देश हित के लिए जाँ निछावर ;
बिगुल वीरता का बजाना पड़ेगा।
न हिंदू लड़ेंगे कभी मुश्लिमों से ;
लहू एक है यह जताना पड़ेगा।
जिये देश हरदम रुके साँस अपनी ;
वतन पर ये तनमन लुटाना पड़ेगा।
सुनो हंस, आहत न करना वतन को;
यहाँ कर्ज अपना चुकाना पड़ेगा।
के आर कुशवाह "हंस"
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