Thursday, June 6, 2019

जनक - छंद

*1. शुद्ध जनक छंद*

मानव "ओम" कमाल है।
उस डाली पर बैठ के।
काट रहा  वो डाल है।।
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*2- पूर्व   जनक  छंद - पहले दो पद तुकांत*

वृक्षों   से   जीवन   मिले।
प्राण फूल फल भी खिले।
"ओम" प्रकृति आधार  है।।
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*3- उत्तर जनक  छंद - अंत के दो पद तुकांत*

जल-स्त्रोत सब मृत हुए।
देख   रहे   चुपचाप   हैं।
उत्तरदायी      आप    हैं।
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*4. घन जनक छंद*

पौधा - रोपण कीजिये।
वसुधा-पोषण कीजिये।
अब मत शोषण कीजिये।।
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*5- सरल जनक  छंद - तीनों पद अतुकांत।*

हरी - भरी वसुधा  रहे।
इसमें ही  सुख-सार है।
ओ मानव यह जान ले।

       *©मुकेश शर्मा "ओम"*

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