◆रूपहरण घनाक्षरी◆
विधान-8,8,8,8 वर्णों पर यति,
चरणान्त 21,चार चरण समतुकांत।
पावस प्रफुल्ल पौन,
मन में मुस्कात मौन,
कामनी किशोरी कौन?
जावत है जिया जार।
गोरे-गोरे गोल गाल,
चटकीली चाल चले ,
करती कमाल कैसो,
कजरे की पैनी धार।।
नील निरामयी नैन,
बोलत बिहँस बैन,
सोच सोच-साध सैन,
पेलत ऐसो प्रहार।
लहरात लोल लोम,
रोमांचित रोम-रोम,
साधत सुछंद "सोम"
सुंदरता है अपार।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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