Friday, June 7, 2019

रूपहरण घनाक्षरी छंद :- सोम जी

◆रूपहरण घनाक्षरी◆

विधान-8,8,8,8 वर्णों पर यति,
चरणान्त 21,चार चरण समतुकांत।

पावस प्रफुल्ल पौन,
  मन  में  मुस्कात मौन,
     कामनी किशोरी कौन?
               जावत है जिया जार।
गोरे-गोरे  गोल गाल,
   चटकीली चाल चले ,
        करती कमाल कैसो,
                 कजरे की पैनी धार।।
नील  निरामयी नैन,
   बोलत  बिहँस  बैन,
     सोच सोच-साध सैन,
                     पेलत ऐसो प्रहार।
लहरात लोल लोम,
    रोमांचित रोम-रोम,
       साधत  सुछंद "सोम"
                      सुंदरता है अपार।।

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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