Wednesday, June 26, 2019

डॉ० वी.पी. सिंह "भ्रमर" जी

🙏 *शुभ वंदन अभिनन्दन मित्रो*🙏
आप सभी का स्नेह और आशीष वांक्षित है.... 👏👏
                       *गीत*
              *"हाथ में दुधार लें"*
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विधा:   तूणक/तोणक/शक्वरी छन्द आधारित
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क्यों  करें  प्रलाप आप हाथ में दुधार   लें।
देश की बिड़म्बना  अलाप को विचार लें।।

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नौनिहाल खो गये बुखार लील सा गया ।
राजनीति में गरीब आज छील सा गया।।
अश्रु   नैन  कोर  से  उबाल ले रहे यहाँ।
माननीय  प्रश्न   का  जवाब  दे रहे कहाँ।।
नीतियाँ  अनीतियाँ  समग्र  को सुधार लें।
क्यों  करें  प्रलाप  आप हाथ में दुधार लें।।

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राजनीति   धारको  गरीब  अंग भंग है ।
देश की गली-गली निहार आज दंग है।।
देश  में  बलात्  कार्य  है   दरिंदगी भरी।
भारतीय  भावना  यहाँ  अधीर  हो मरी।।
भारतीय शौर्य  को  सदेह   तू पुकार ले ।
क्यों करें  प्रलाप आप हाथ में दुधार लें।।

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जाति धर्म का विवाद द्वेष दम्भ है भरा।
पक्ष या विपक्ष आज वोट नीति से डरा।।
बेटियाँ  सभीत  हैं  गरीब की अमीर की ।
चिन्तनीय है दशा दिशा उदास पीर की।।
हो विमुक्त  पीर  से   प्रतीत से  दुलार लें।
क्यों करें प्रलाप  आप  हाथ में दुधार लें।।

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है  विलुप्त  वंदनीय  देश  की विशिष्टता।
आज बीच धार में खड़ी उदास शिष्टता।।
राग  हैं  अलापते  भुला स्वदेश राग को।
है प्रसन्न चित्त दम्भ झांक झांक दाग को।।
दाग   हेतु  भैरवी   सुराग   को पुकार लें।
क्यों करें प्रलाप   आप  हाथ में दुधार लें।।

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देश   में  सहिष्णु  वाद तुष्टि का प्रपंच  है।
दे   रहा   दुलार प्यार राजनीति मंच है ।।
हो    मनुष्य   तो तुम्हें मनुष्यता पुकारती।
और  आज   कष्ट सिक्त भारती गुहारती।।
हो  मनुष्यता   अशेष   तो  उसे उधार लें।
क्यों करें प्रलाप   आप  हाथ में दुधार लें।।

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✍   *डाॅ0वी0पी0सिंह_भ्रमर*
                      चित्रकूट
         दिनाँक : २७.०६.२०१९
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