Monday, January 14, 2019

बहू पर अत्याचार

बहू पर अत्याचार

बहू माना नही उसने,सिलेंडर से जलाते हैं।
बड़े भोले बने फिरते,वो माचिस खुद जलाते हैं।।
कही पैसे कही सोने,कही सम्मान की  खातिर।
कभी मुर्दा जलाते हैं,कही जिंदा जलाते हैं।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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