Saturday, January 12, 2019

आ० संजय उमंग जी




🌷मनहरण घनाक्षरी🌷

 उत्तर को हिमपात, करत कठोर घात।
प्रकीर्णित हिम कण, शीतल समीर है।।

ठिठुरन अंग अंग,  जीव जन हुए तंग।
शिशिर प्रकोप बढ़ो, कंपित शरीर है।।

यामिनी असीम ठंड, लगे जैसे देत दंड।
जम रहो रक्त देह, नदी नद नीर है।।

पड़ें पाला बढ़ें धुंध, कृषि गति होत कुंद।
फसल की चिंता लगी, कृषक अधीर है।।

       🌹संजय "उमंग" 🌹

No comments:

Post a Comment

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। नीतेंद्र सिंह परमार भारत छतरपुर मध्यप्रदेश

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। आज दिनांक 6 जुलाई 2025 दिन रविवार को गायत्री शक्तिप...