*मध्यप्रदेश स्थापन दिवस* पर:-
*भारत* के हृदय में बसने वाले *मध्यप्रदेश* का।
हम वासी है हिन्दुस्तानी,
हिंद की शान बढ़ाते हैं।
निज गौरव गरिमा मिट्टी की,
मिलकर मान बढ़ाते हैं।।
भारत के हृदय स्थल की,
सोभा अमिट निराली हैं।
मध्यप्रदेश राज्य है अद्भुत,
आकर्षक हरियाली हैं।।
राज्यों की सीमाएं हमको,
अपने गले लगाती हैं।
पांच राज्य का सोभा हमको,
संग साथ मिल जाती हैं।।
उत्तर में उत्तर प्रदेश वा,
दिशा पूर्वी छत्तीसगढ़।
दक्षिण में महाराष्ट्र राष्ट्र है,
पश्चिम में गुजराती गढ़।।
सभी राज्य आपस में मिलकर,
करे भारत का गुणगान।
वीर साहसी वालो की हैं,
भूमि प्यारी राजस्थान।।
सर सरिताओं का उद्गम हैं,
पौराणिक मिलते आख्यान।
केन वेतवा चम्बल शिप्रा,
तवा ताप्ती और धसान।।
विंध्य सतपुड़ा शैल शिखर सम,
ऊँची पर्वत माला है।
मध्यप्रदेश भारत का हृदय,
जग ये तीरथ वाला है।।
संस्कार साहित्य संस्कृति,
इतिहास कला अलबेली हैं।
निमाड़ मालवा चम्बल भूमि,
बुन्देलखण्ड बुन्देली हैं।।
रामायण में कौशल धरती,
महाभारत नगर विराट।
ऐसा न्यारा बसा हमारा,
खण्ड बघेली ऊँचे ठाट।।
बुन्देलखण्ड खण्डों में राजा,
राज्य जहां मिल जाते हैं।
दतिया पन्ना झाँसी बांदा,
मध्य छतरपुर पाते हैं।।
उष्णकटिबंधीय जलवायु,
मानसून अपेक्षाकृत।
काली काली मृदा मालवी,
महाकौशल अपेक्षाकृत।।
प्रमुख रहीं नर्मदा नदी जो,
कल कल करके बहती हैं।
दिशा पश्चिमी बहने वाली,
सुन्दरता को गहती हैं।।
हिंदी उर्दू और मराठी,
भाषायी हमजोली हैं।
निमाड़ मालवी वा बघेली,
बुन्देली रस बोली हैं।।
किया हैं वर्णन हमने सारे,
प्रकृति के आदेश का।
*भारत* के हृदय में बसने,
वाले *मध्यप्रदेश* का।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
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