Thursday, March 14, 2019

आ० हीरालाल यादव जी

*ग़ज़ल*
1222 1222 122

ज़रा पागल, ज़रा नादान हूँ मैं।
मगर दिल का भला इंसान हूँ मैं।

समझता हूँ हकीकत ज़िन्दगी की
जहां में चार दिन मेहमान हूँ मैं।

मुझे कोशिश समझने की तो करिए
नहीं मुश्किल, बहुत आसान हूँ मैं।

भरा कमियों से होना लाजिमी है
फरिश्ता  तो नहीं इंसान हूँ मैं।

जहां हँसता है मेरी मुफ़लिसी पर
ग़रीबी की बना पहचान हूँ मैं।

शिकायत कुछ नहीं करता कभी, पर
हकीकत से नहीं अनजान हूँ मैं।

सभी मुँह फेरते हैं देख *हीरा*
किसी दिल का नहीं अरमान हूँ ।

                   हीरालाल

No comments:

Post a Comment

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। नीतेंद्र सिंह परमार भारत छतरपुर मध्यप्रदेश

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। आज दिनांक 6 जुलाई 2025 दिन रविवार को गायत्री शक्तिप...