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*अनंगशेखर छंद*
शिल्प : जगण रगण जगण रगण जगण गुरु
16 वर्ण, दो दो चरण समतुकांत
121 212 121 212 121 2
निहार लीजिये हिया विकार मुक्त हों अभी।
सुधार लीजिये सुनों विचार युक्त हों सभी।।
बनी रहे कृपालु आपकी कृपा सुहावने।
निहारते रहें सदैव सोमजू लुभावने।।
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
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यह तो पञ्चचामर छंद है आदरणीय,,,, क्या अंगशेखर और पञ्चचामर एक ही होता है।
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