Wednesday, March 6, 2019

ग़ज़ल कवि विनोद सिंह गुर्जर


ग़ज़ल

मुहब्बत भरे गीत गाते रहिये।
बहारें खिंजा में बुलाते रहिये।।

मिलेगी तुम्हें सारी दौलत जहाँ की ,
नफरत दिलों से मिटाते रहिये।।..

तिरछी नजर हमसफर गर करे तो,
कदमों में दिल को बिछाते रहिये।।...

लहरो  से डरने की क्या है जरूरत,
तूफां में कश्ती सजाते रहिये।।...

गम दो घड़ी का क्या सोचते हो,
हंसते रहो और हंसाते रहिये।।...

आंधी से डरकर दीपक बुझे हैँ,
चरागों को तुम तो जलाते रहिये।।...

✍कवि विनोद सिंह गुर्जर।।

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